Search

गढ़वा : बकरी पालन से हजारों महिलाएं आर्थिक रूप से हो रहीं मजबूत

Garhwa :  जिला के रंका अनुमंडल में इन दिनों महिलाएं बकरी पालन कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है. इस कार्य में झारखंड राज्य आजीविका मिशन, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है. आर्थिक उन्नति में सहायक हो रहा है. झारखंड राज्य आजीविका मिशन के प्रबंधक मनोज कुमार तिर्की का कहना है कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से 11,000 महिलाएं सीधे तौर पर इससे जुड़ी हुई हैं. 4500 महिलाएं बकरी पालन के रोजगार से जुड़कर परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं. झारखंड राज्य आजीविका मिशन, रंका इकाई पशुसखी मंडल के माध्यम से तकनीकी सहायता उपलब्ध कराता है. साथ ही साथ महिलाओं को झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के माध्यम से ऋण मुहैया कराता है. इसे भी पढ़ें :जमीन">https://lagatar.in/case-registered-against-kundhit-co-of-ranchi-namkum-and-jamtara-in-land-scam-case/">जमीन

घोटाले मामले में रांची के नामकुम और जामताड़ा के कुंडहित सीओ के खिलाफ मामला दर्ज
https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/cccc-25.jpg"

alt="" width="600" height="400" />

रंका का भू-भाग पशुपालन के लिए उपयुक्त

रंका का भू-भाग पालतू पशुओं के लिए उपयुक्त स्थल माना जाता है. यहां पशुओं के चारागाह के लिए वन क्षेत्र मौजूद हैं. पशुपालक अपने पशुओं को उत्तम चारा खिलाकर पशुपालन कर लेते हैं. किसानों के लिए बकरी पालन आर्थिक उपार्जन का एक बहुत बड़ा स्रोत बनकर उभरा है. साथ ही साथ इसका व्यापार भी बढ़ा है. बता दें कि यहां की बकरियों की मांग गढ़वा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, रांची समेत कई जिलों में है. पहले व्यापारी लोगों से बकरियों को औने-पौने दामों में खरीदकर शहरों में बेचते थे, लेकिन अब पशु सखी के माध्यम से किसानों को पशुओं का उचित मूल्य मिल जाता है. इसे भी पढ़ें :आईएमए">https://lagatar.in/dr-anant-sinha-became-the-president-of-ima-hospital-board-of-india-of-jharkhand/">आईएमए

हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया ऑफ झारखंड के अध्यक्ष बने डॉ अनंत सिन्हा
https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/ccc-3-2.jpg"

alt="" width="600" height="400" />

बकरियों को बीमारियों से भी बचाया जाता है

बकरियों को होने वाले रोगों से बचाव के लिए डी वार्मिंग और टीकाकरण किया जाता है. इससे बीमारियों से होने वाले नुकसान से बकरी पालक बचते हैं. बकरी पालकों का कहना है कि यदि अनुमंडल प्रशासन बकरियों के बाजार के लिए उचित जगह रंका में उपलब्ध कराती है तो उससे उन्हें फायदा होगा. गढ़वा जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और काफी हद तक बिचौलियों से भी निजात मिलेगी. इस बाबत अनुमंडल पदाधिकारी रामनारायण सिंह ने भरोसा दिया कि झारखंड आजीविका मिशन के द्वारा रंका में बाजार की मांग की जाती है तो उन्हें बाजार मुहैया कराया जायेगा. [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp