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गावां : काली मंदिर में अंग्रेजों के जमाने से हो रही है चैत्र नवरात्र

आदित्य कुमार Gawan (Giridih) : गावां प्रखंड मुख्यालय स्थित काली मंदिर में चैत्र नवरात्र अंग्रेजों के जमाने से होती आ रही है. मंदिर का निर्माण 18 वीं सदी में तत्कालीन गावां के राजा निवासी टिकैत पुहकरण नारायण सिंह ने करवाया था. लगभग 30 मीटर लंबा व 30 फीट ऊंचे मंदिर के दीवारों के निर्माण में चुना, बेल का लट्ठा,  गुड़, उड़द दाल का पानी, शंख व सीपियों के पानी का प्रयोग किया गया था. इस वजह से दीवारें आज भी चिकनी और सुंदर दिखती है. मंदिर के पूर्वी भाग में बड़ा हॉलनुमा कमरे में गावां राजघराने ने दक्षिणेश्वर काली की प्रतिमा स्थापित की थी. हॉल में आज भी सिर्फ राजघराना परिवार, मुख्य आचार्य व नाई ही प्रवेश करते हैं. कमरे में लगभग पांच फीट ऊंचे व तीन फीट चौड़े बेल्जियम ग्लास से निर्मित दो आईना रखा हुआ है. इन आइनों को दुर्गा पूजा के समय में बाहर निकाल कर मां दुर्गा की प्रतिमा के अगल-बगल रखा जाता है. पश्चिमी भाग के कमरे में पूजन सामग्रियां रखी जाती है.

कैसे हुई पूजा की शुरुआत

एक बार माता की प्रतिमा विसर्जन के समय प्रतिमा का पाटा श्रद्धालु उठा नहीं पाए. तत्कालीन राजा ने पाटा उठाने के लिए हाथी भिजवाया. इसके बाद भी उसे उठाया नहीं जा सका. इसके कुछ दिनों बाद ही गावां में प्लेग फैल गया. मां दुर्गा ने राजा को स्वप्न में दर्शन देकर चैत्र नवरात्र शुरू करने को कहा. इसके बाद से ही यहां चैत्र नवरात्र की शुरुआत हुई. आज भी पूजा में राजपरिवार के सदस्य बैठते हैं. इस समय मंदिर के मुख्य आचार्य भवेश मिश्रा व उनके सहायक अवध पांडे हैं. 60 के दशक के बाद से पूजा सार्वजनिक कमेटी करती आ रही है. इससे पूर्व राजघराने के सदस्य ही करते थे. नवरात्र के समय मेला भी लगता है, जिसमें दूर दराज से लोग आते हैं.

भैंस की दी जाती थी बलि

पूर्व में यहां पूजा के दौरान भैंस की बलि दी जाती थी. फिलहाल भैंस की बलि नहीं देकर बकरे की बलि दी जाती है. नवमी के दिन सैकडों की संख्या में बकरों की बलि दी जाती है.

लगता है मेला

चैत्र नवरात्रि के अलावा अश्विन नवरात्रि में मंदिर परिसर में तीन दिनों तक मेला लगता है. मेला में दूर दराज के इलाके से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. मेला में झूला, ब्रेक डांस, टोराटोरा के साथ-साथ मनोरंजन के साधन की व्यवस्था रहती है. सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=587860&action=edit">यह

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