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जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के हल के लिए जेंडर रेस्पोंसिव पॉलिसी जरूरी : मनीष रंजन

  • झारखंड में जलवायु परिवर्तन पर महिलाओं का नेतृत्व अहम : विशेषज्ञ
Ranchi  जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर स्थानीय महिलाओं का नेतृत्व तैयार करना इससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण साबित होगा. बुधवार को आयोजित `जेंडर एंड क्लाइमेट डायलॉग्स: झारखंड चैप्टर` की कार्यशाला को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा. आपने संबोधन में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव मनीष रंजन ने कहा कि महिलाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में बात करते हुए हमें जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वे हैं - स्वास्थ्य संबंधी खतरों में वृद्धि, पानी और स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच और निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की सीमित भागीदारी. डब्ल्यूएचओ, आईएलओ, यूएनडीपी जैसे संगठनों के कुछ प्रमुख शोध निष्कर्षों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, साक्ष्य बताते हैं कि हमें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के समाधान के लिए जेंडर रेस्पोंसिव पॉलिसी की जरूरत है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन महिलाओं को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है. जलवायु परिवर्तन के खतरों को प्रभावी ढंग से कम करने के इस मुद्दे पर हमें महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहिए और इन्हें इस पर काम करने के लिए तैयार करना चाहिए.

मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने कहा

मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण महिलाओं को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके समाधान के लिए हमें केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है. इसमें मौजूदा संसाधनों का संवेदनशील उपयोग और महिलाओं की जरूरतों के अनुसार नीतियों के कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करना शामिल है.

महिलाएं जलवायु परिवर्तन से व्यापक रूप से प्रभावित

असर की सीईओ विनुता गोपाल ने कहा, महिलाएं जलवायु परिवर्तन से व्यापक रूप से प्रभावित होती हैं, लेकिन दुर्भाग्य से उनके मुद्दों पर शायद ही कभी जरूरी ध्यान दिया जाता है. हमें उन्हें महज पीड़ितों के रूप में देखना बंद करना होगा और उनके नेतृत्व को बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जलवायु समाधानों को प्राप्त किया जा सके. राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, सीआईएनआई झारखंड तन्वी झा ने अपने अध्ययन झारखंड में महिलाओं और लड़कियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के निष्कर्ष प्रस्तुत किए.

कार्यशाला में 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया

कार्यशाला में प्रतिभागियों को कार्य समूह बनाकर जेंडर और जलवायु से जुड़े ऐसे प्रमुख हस्तक्षेपों को चिन्हित किया गया, जिन पर राज्य सरकार ध्यान केंद्रित कर सके. असर और सीआईएनआई कार्यशाला के विचार-विमर्श से प्राप्त मुख्य बिंदुओं को एकत्रित करेंगे और इसे झारखंड के प्रमुख हितधारकों के साथ साझा किया जाएगा . कार्यशाला में 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया. जिनमें सरकारी प्रतिनिधि, जलवायु परिवर्तन और इससे संबद्ध स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले संगठन शमिल थे. इसे भी पढ़ें – भाजपा">https://lagatar.in/ajsu-supremo-sudesh-mahato-met-bjp-national-president-jp-nadda/">भाजपा

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