Ghatshila : बहरागोड़ा प्रखंड की चिंगडा पंचायत के डुमरिया गांव में जनप्रतिनिधियों और जल एवं स्वच्छता विभाग की लापरवाही से पेयजल संकट गहरा गया है. मुंडा बहुल इस गांव में एक भी सोलर जलापूर्ति योजना स्थापित नहीं की गई है. गांव में एक भी चापाकल नहीं है. वन विभाग के तहत बनाए गए गांव में तीन कुएं हैं. फिलहाल इन्हीं कुंओं पर ग्रामीण पेयजल के लिए आश्रित है. ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी में कुआं का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. इससे गर्मी में पेयजल के लिये लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
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चाकुलिया अंडरपास सड़क पर धूल उड़ने से राहगीर परेशान. आंगनबाड़ी केंद्र में भी चापाकल नहीं है
गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी है. लेकिन इस केंद्र में चापाकल नहीं है. केंद्र में बच्चों के लिए कुआं से ही पानी लाया जाता है. ग्रामीणों के मुताबिक गांव से कुछ दूरी पर स्थित प्राथमिक विद्यालय में सोलर जलापूर्ति योजना है. गांव के दो टोलों में करीब 50 परिवार निवास करते हैं.
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: वीमेंस कॉलेज के भूगोल की छात्राओं ने किया दार्जिलिंग का शैक्षणिक भ्रमण सोलर जलापूर्ति योजना स्थापित करने की मांग कई बार की गई
ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों से सोलर जलापूर्ति योजना स्थापित करने की कई बार मांग की गई. परंतु यह कह कर मांग टाल दी गई की गांव में चापाकल नहीं है. इसलिए यहां सोलर जलापूर्ति योजना स्थापित नहीं हो सकती है. गांव के निवासी एमए के छात्र सत्येन मुंडा ने बताया कि गांव में पेयजल की घोर किल्लत है. नहाने के लिये गांव से दूर तालाब जाना पड़ता है. गांव के एक छात्र ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और जल एवं स्वच्छता विभाग के पदाधिकारियों ने इस गांव को उपेक्षित रखा है. गांव में सोलर आधारित जलापूर्ति योजना जरूरी है. [wpse_comments_template]
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