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गिरिडीह : डुमरी विधानसभा क्षेत्र में दूसरी बार होगा उपचुनाव

Giridih :  डुमरी विधानसभा सीट पर 6 अक्टूबर से पूर्व चुनाव कराना सरकार की संवैधानिक बाध्यता है. संविधान के प्रावधान के अनुसार कोई भी विधानसभा सीट छह माह से अधिक समय तक खाली नहीं रखी जा सकती है. मालूम हो कि 6 अप्रैल को राज्य के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो की मौत हुई थी, इसके बाद से ही डुमरी विधानसभा सीट खाली है. आम तौर पर चुनाव की घोषणा मतदान के कम से कम 45 दिनों पहले की जाती है. संभावना जताई जा रही है कि जुलाई में ही मतदान तिथि की घोषणा की जा सकती है.

डुमरी में पहले भी हो चुका है उपचुनाव

इस बार हो रहे उपचुनाव से पूर्व डुमरी विधानसभा क्षेत्र में पहले भी उपचुनाव हो चुके हैं. यहां पहली दफा 1969 में उपचुनाव हुआ था. जानकारी के अनुसार 1967 में विधानसभा चुनाव में राज पार्टी से राजमाता एस. मंजरी विधायक चुनी गई थी. उनके निधन के बाद 1969 में डुमरी विधानसभा उपचुनाव हुआ. तब राज पार्टी से केपी सिंह चुनाव जीते और अखंड बिहार में पथ निर्माण विभाग के मंत्री बनाए गए थे. दूसरी बार चुनाव की नौबत तब आई जब 1977 में जनता पार्टी से लालचंद महतो विधायक चुने गए पर 80 में अखंड बिहार में मध्यावधि चुनाव संपन्न हुआ. मध्यावधि चुनाव में झामुमो से पहली बार शिवा महतो विधायक चुने गए. तब न केवल डुमरी बल्कि पूरे बिहार में मध्यावधि चुनाव हुआ था. अब लगातार चार बार के विधायक रहे जगरनाथ महतो के आकस्मिक निधन के बाद ऐसी नौबत आई है. यह चुनाव के पहले ही राज्य कैबिनेट में मंत्री बनाई गई स्वर्गीय महतो की पत्नी बेबी देवी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=687559&action=edit">यह

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