Giridih: भले ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है पर गिरिडीह में यह प्रतिबंध अब तक कागजों में ही सीमित है. लिहाजा फुटकर सहित अन्य व्यवसाई ग्राहकों को सब्जी से लेकर अन्य दैनिक उपयोगी सामान देने के लिए सिग्नल यूज प्लास्टिक (पॉलीथिन) का उपयोग धड़ल्ले से कर रहें हैं. व्यापारियों का तर्क है कि लोग थैला नहीं लाते और पुराना स्टॉक बचा है इस कारण इसका उपयोग किया जा रहा है. पर तर्क सटीक नहीं है क्योंकि रोक के आदेश का कई माह गुजरने वाला है. यह स्थिति तब है जब गिरिडीह शहर में ही करीब 80 टन कचरा हर माह निकल रहा है. इसमें आधे के करीब सिंगल यूज प्लास्टिक होता है. ऐसे में वास्तविक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है.
पॉलिथीन से जाम रहती है नालियां
सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण शहर की नालियां जाम रहती है. शहर में कोई भी गली या नाली नहीं मिलेगी जिसमें यह भरा पड़ा न हो. कूड़े कचरे के ढेर में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का सामान ही मिलते हैं. यह पिघलता नहीं है, आग से पूरी तरह जलता नहीं, निकलने वाला धुआं पर्यावरण के साथ लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी घातक है. अमूमन घरों और दुकानों के सामने कचरे को ढेर कर उसमें आग लगा दी जाती है. इससे हवा में जहरीली गैस फैलती है जो नुकसानदायक है. विदित हो कि नगर निगम क्षेत्र में उप नगर आयुक्त को सिंगल यूज प्लास्टिक पर कार्यवाही करनी है, पर छापेमारी के लिए बनी टीम भी इस दिशा में कारगर साबित नहीं हो रही है. केवल औपचारिकता के लिए महीना में एकाध छापेमारी हुई तो बहुत है.
सजा का है प्रावधान
आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से ₹2000 जुर्माना का प्रावधान है. वहीं औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान किया गया है. ऐसे लोगों पर 20,000 से लेकर एक लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर 5 साल की जेल. दोनों सजाएं साथ भी दी जा सकती है, पर सख्त कानून के बावजूद सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग इस कदर किया जा रहा है मानो यहां कानून का राज ही नहीं है.
सख्त कानून से ज्यादा जरूरी है जागरूकता: प्रभारी
नगर निगम के टाउन प्लानर सह छापामार दल के प्रभारी मंजूर आलम ने कहा कि छापेमारी अभियान लगातार चलाया जा रहा है. चेतावनी, सीज, फाइन सभी का इस्तेमाल किया जा रहा है, पर सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग रुक नहीं रहा है. जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे इस पर रोक मुश्किल है. विभाग के अलावा कई स्वयंसेवी संस्थाएं जागरूकता अभियान चला रही है, पर फलाफल कुछ नहीं निकल रहा है. उन्होंने कहा कि सख्त कानून से ज्यादा जरूरी है आम लोगों की जागरूकता. जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे इस पर रोक असंभव है.
यह भी पढ़ें:गावां : प्रखंड सह अंचल परिसर में नहीं है शुद्घ पेयजल की व्यवस्था
[wpse_comments_template]