Abhay Verma
Giridih : गिरिडीह सदर अस्पताल लापरवाहियों का अजायबघर बन गया है. यहां आए दिन लापरवाहियों के एक से बढ़कर एक नमूने सामने आते हैं. मरीज़ वार्ड की छत के ऊपर फेंकी गई लाखों रूपये की एक्सपायरी दवा मिलने के बाद एक बार फिर से अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा सवालों के घेरे में है. हैरत की बात ये कि इतनी तादाद में दवाएं फेकी गई, लेकिन किसी को इसकी जानकारी तक नहीं. हरकोई एक दूसरे के बगले झांक रहा है. एक चैताडीह और दूसरा सदर अस्पताल में ही दवा स्टोर है. लेकिन कोई भी स्टोर इंचार्ज इन दवाओं को अपना नहीं बता रहा है. लगातार मीडिया के कैमरे ने जब तस्वीरें सामने रखी तो विभाग में हड़कंप मच गया है. लेकिन ये दवाएं यहां कैसे पहुंची, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
जानकारी के अनुसार एक्सपायरी दवा की सूचना संबंधित अधिकारी तक नहीं पहुंच पाती. जबकि दवा का मेंटेनेंस रजिस्टर पर कर दिया जाता है, लेकिन उसका उठाव नहीं हो पाता. ऐसी स्थिति में दवा एक्सपायर हो जाती है. उसके बाद दवाओं को किसी कमरे में बंद कर दिया जाता है या फिर जहां-तहां फेंक दिया जाता है.
ताक पर नियम कायदे
विभागीय आदेश के अनुसार दवा एक्सपायर रहने में 3 माह शेष रह जाता है तो कार्यालय के माध्यम से मुख्यालय को सूचना देनी होती है. सदर अस्पताल में कुछ ऐसी दवाओं की भी आपूर्ति कर दी जाती है जो एक्सपायर होने में 3 माह ही रहता है. अगर लेने से इनकार कर दिया जाता है तो ऊपर से फोन भी आता है. नतीजतन दवा एक्सपायर हो जाती है.
पहले भी फेंकी गई है एक्सपायरी दवा
एक दशक पूर्व सिविल सर्जन कार्यालय के छत के ऊपर करीब 10 लाख की दवा फेंकी हुई थी. मामला उजागर हुआ तो दंडाधिकारी पीपी सिन्हा की अगुवाई में 3 सदस्यीय कमेटी ने मामले की जांच की. पर इसका नतीजा क्या हुआ, वह आज तक किसी को मालूम नहीं.
दवा के बैच का किया जाएगा मिलान : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ.एसपी मिश्रा ने कहा कि दवा फेंकना किसी भी हालत में जायज नहीं है. उन्होंने कहा कि फेंकी गई दवा की बैच का मिलान कर पता किया जाएगा कि दवा कब आयी और इसकी सप्लाई कहां की गई. मामले की जांच कर दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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