Giridih: गिरिडीह के पूर्व विधायक ज्योतिंद्र प्रसाद का निधन हो गया. उन्होंने अपने आवास पर अंतिम सांस ली. वह सादगीपूर्ण जीवन और जनसेवा के लिए जाने जाने जाते थे. उन्हें लोग ‘झारखंड के गांधी’ कहकर संबोधित करते थे. उनके निधन की खबर से पूरे गिरिडीह व आसपास के क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई. राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं व शुभचिंतकों ने उनके आवास पहुंचकर श्रद्धांजलि दी. अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. पूर्व विधायक लक्ष्मण सोनकर, दिनेश यादव, दीपक उपाध्याय समेत कई प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने उन्हें नमन किया.
सादगी की मिसाल थे
गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड निवासी ज्योतिंद्र प्रसाद ने अपने सार्वजनिक जीवन में उस आदर्श राजनीति को जिया, जिसकी आज कल्पना भर होती है. उन्होंने कभी दोपहिया वाहन तक नहीं लिया. झोपड़ी जैसे खपरैल घर में जीवन बिताया और माइका मजदूर आंदोलन के दौरान मजदूरों के साथ धरती पर सोए. भोजन की व्यवस्था के लिए उनकी पत्नी ने अपने कान की बाली तक बेच दी. यह सब उन्होंने बिना किसी दिखावे के केवल जनसेवा की भाव से किया.
उन्हें कभी सत्ता का लोभ नहीं हुआ. राजनीति उनके लिए सेवा का माध्यम थी, न कि साधन. वर्ष 1990 में कांग्रेस के टिकट पर वे गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से चुने गए. अपने कार्यकाल में उन्होंने शुचिता, पारदर्शिता और आमजन की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता की मिसाल कायम की. उनकी ईमानदार छवि ने उन्हें गिरिडीह के घर-घर में भरोसेमंद नाम बना दिया. राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने कभी दिखावटी जीवन नहीं जिया और सादगी को अपना धर्म बनाया.
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