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गिरिडीह : पारसनाथ में संथाल आदिवसियों का महाजुटान, गूंजा मरांगबुरु बचाओ का नारा

Giridih : झारखंड-बिहार की सर्वोच्च पर्वत चोटी पारसनाथ पर बुधवार को संथाल आदिवासियों का महाजुटान हुआ. मरांगबुरु बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले हुए इस महाजुटान में झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा बिहार व पश्चिम बंगाल से भी बड़ी संख्या में आदिवसी पहुंचे थे. लोग मकर संक्रांति मेला मैदान से दिशोम मांझीथान तक नारेबाजी करते पहुंचे. वातावरण मरांगबुरु बचाओ, अतिक्रमण हटाओ के नारे से गूंजित रहा. मांझीथान में पूजा-अर्चना के बाद वापस सभी मकर संक्रांति मेला मैदान के समीप इकठ्ठा हुए, जहां सभा का आयोजन किया गया. आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक हथियार के साथ पहुंचे थे. ज्ञात हो कि सम्मेद शिखर पारसनाथ में संथाल आदिवासी अपने अधिकार के लिए आवाज बुलंद करने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मधुबन में एकत्रित हुए थे. ढोल, नगाड़े, पारंपरिक हथियार आदि के साथ विभिन्न आदिवासी संगठन के लोग मधुबन पहुंचे. बाद में सभी जुलूस के साथ पारसनाथ पहाड़ की तलहटी स्थित दिशोम मांझीथान पहुंचे. जहां सभी ने पूजा अर्चना की. हजारों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने मरांगबुरू को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए जमकर नारेबाजी की. वक्ताओं ने कहा कि मरांगबुरू आदिवासियों का है. आदिकाल से आदिवासी समाज मरांगबुरु स्थित दिशोम मांझीथान एवं जुग जाहेर थान में पूजा-अर्चना करते आ रहा हैँ.

मोर्चा ने एसडीओ को सौंपा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

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alt="" width="600" height="400" /> एसडीओ को ज्ञापन सौंपते मोर्चा के नेता[/caption] सभा के बाद मोर्चा के नेताओं ने डुमरी एसडीओ जीतराय मुर्मू व सीओ गिरिजानंद किस्कू को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए कहा गया है मरांग बुरू संथाल समाज का देवस्थल है. वे यहां सृष्टिकाल से ही पूजा करते आ रहे हैं. लेकिन जैन समाज इसे अपना बताकर संथाल समाज के देवस्थल को ही अवैध कह रहा है.  जबकि झारखंड उच्च न्यायलय के 2004 के आदेश के अनुसार पारसनाथ पहाड़ की चोटी पर मात्र 86 डिसमिल जमीन पर ही जैन समाज को पूजा करने की छूट दी गई है. वन विभाग की मिलीभगत से पूरे पहाड़ पर 50 से अधिक मंदिर आदि बनाये गए हैं. राष्ट्रपति से आदिवासी समाज को न्याय दिलाने की मांग की गई है. इसके साथ ही मरांग बुरू संस्थान के संथापक अजय टुडु की हत्या मामले की सीबीआई जांच कराने, सरना आदिवासी धर्मकोड लागू करने, संथाल समाज की संस्कृति को कायम रखने की भी मांग की गई है. यह भी पढ़ें : पश्चिम">https://lagatar.in/west-bengal-cm-mamata-banerjee-to-lecture-at-oxford-university-in-london-on-march-27-central-government-gives-permission/">पश्चिम

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