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Giridih : धन्य भूमि पारसनाथ को मैं प्रणाम करता हूं, जहां 20 तीर्थंकर निर्वाण को प्राप्त हुए - मोरारी बापू

Peertand (Giridih): जैनियों के विश्व प्रशिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन के फुटबॉल मैदान में विश्व विख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने अपने कथा के दूसरे दिन रविवार को कहा कि पारसनाथ की भूमि धन्य है, जहां जैनियों के 20 तीर्थंकर निर्वाण पद को प्राप्त किए हैं. जिस कारण यहां का कण-कण पूजनीय है. उन्होंने कहा कि यह वही धरती है जहां से जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में 20 तीर्थकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की है. यह तप की धरती है, यह मोक्ष की धरती है. तप कर यह शुद्ध की गई भूमि है. ऐसी धरती को मैं व्यास पीठ से प्रणाम करता हूं. मोरारी बापू ने कहा कि महावीर के पहले सूत्र में आचार्य वाणी किसको कहते हैं. आचार्य की महिमा विचार से भी अधिक है. इसलिए आचार्य की महिमा बहुत है. भगवान महावीर कहते हैं कि आचार्य वही है, जिसके पास विनय है. सबसे बड़ा आचार्य आदमी का विनय होता है.आगे उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध जब घर को त्याग के निकल गए तब उनसे पूछा गया कि ये आपने ठीक किया,तो भगवान बुद्ध कहते हैं कि अभी में कुछ नहीं बोलूंगा. क्योंकि मैं सत्य के मार्ग पर निकला हूं. एक बार सत्य मेरी पकड़ में आ जाए तो फिर मैं कुछ बोलूंगा. अहिंसा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अहिंसा परमो धर्म. संसार में अहिंसा से बड़ा कोई धर्म नहीं है . राम कथा के अंतर्गत बंदना प्रकरण आदि विषयों पर भी चर्चा की गई. कथा सुनने के लिए गुजरात से तीन हजार भक्त आए हैं. वहीं न केवल गिरिडीह बल्कि सम्पूर्ण झारखंड से लोग कथा सुनने आ रहे हैं. रविवार को दिन के 10 बजे से दोपहर के 1.30 बजे तक कथा चली. कथा सुनने वाले सभी लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी.
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