एक साल में कर्मियों की संख्या हो गई दोगुनी
सर्टिफिकेट जांच के लिए नहीं बनी कमेटी
Abhay Kumar Giridih : गिरिडीह जिले के स्वास्थ्य महकमा में आउटसोर्सिंग कर्मियों की अंधाधुंध बहाली हुई है. हबहाली में प्रावधानों की भी अनदेखी की गई है. इसके लिए न कोई वैकेंसी निकाली गई, न ही बहाली के बाद सर्टिफिकेट जांच के लिए कोई कमेटी बनाई गई. बहाली के बाद सर्टिफिकेट असली है या नकली इसकी जांच जरूरी है, पर मोहरों के आगे जिम्मेदारों ने नियमों को ताक पर रख कर्मियों को बहाल कर लिया. सारा खेल मैनपावर उपलब्ध कराने वाली आउटसोर्स कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए हुआ है. ज्ञात हो कि जिला स्वास्थ्य विभाग ने सदर अस्पताल सहित जिले के विभिन्न हेल्थ सेंटरों में मैनपावर उपलब्ध कराने के लिए निजी ऐजंसी बालाजी डिटेक्टिव फोर्स के साथ 14 फरवरी 2019 को एकरारनामा किया था. तब से यही एजेंसी मैनपावर उपलब्ध करा रही है. हाल के वर्षों में कर्मचारियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि की गई है. गौर करनेवाली बात यह है कि कंपनी कर्मियों को तय मजदूरी से कम भुगतान कर दोहरा लाभ कमा रही है. विभागीय सूत्रों की मानें, तो पेमेंट का वॉल्यूम बढ़ाने के लिए कर्मियों की संख्या में वृद्धि की गई है. बहाली में जिले के सिविल सर्जन और कंपनी के सुपरवाइजर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. सदर अस्पताल, गिरिडीह में जनवरी 2022 में आउटसोर्स कर्मियों की संख्या 72 थी, जो जनवरी 2023 में बढ़कर 92 हो गई.मोटी रकम लेकर की गई बहाली : संघ
विभाग में इसकी चर्चा जोरों पर है कि बहाली में प्रावधानों की धज्जियां उड़ाने के साथ अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूली गई है. स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के गिरिडीह जिलाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि कई लोगों ने दलाल के माध्यम से नकली सर्टिफिकेट दिखाकर अपनी बहाली करवा ली है. इसमें मोटी रकम की उगाही हुई है. जिनका सर्टिफिकेट असली है उनसे 50 हजार रुपए और जिनका नकली है उनसे एक लाख रुपए तक की वसूली हुई है.बगोदर सीएचसी में दोगुना से अधिक कर्मी
बगोदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जनवरी 2022 में टेक्निकल स्टाफ (आउटसोर्सिंग) की संख्या 27 थी. एक साल बाद जनवरी 2023 में यह बढ़कर 66 हो गई. यही हाल धनवार स्वास्थ्य केंद्र का है. जनवरी 2022 में यहां टेक्निकल स्टाफ की संख्या 15 थी, जिसे जनवरी 2023 में बढ़ाकर 33 कर दिया गया. आउटसोर्सिंग में बहाल इन कर्मियों के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच कभी नहीं की गई. इनमें जीएनएम, एएनएम, लैब टेक्नीशियन, ओटी असिस्टेंट जैसे महत्वपूर्ण पद हैं. जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति एक जैसी है. सीएचसी से चिकित्सकों की भारी कमी है, पर ऐसे स्टाफ की संख्या जरूरत से अधिक है. सबसे चकित करने वाली बात यह है कि 4 साल से अधिक गुजर जाने के बावजूद अब तक कंपनी से दोबारा इकरारनामा नहीं हुआ है.बहाली के समय देखा जाता है सर्टिफिकेट : सिविल सर्जन
[caption id="attachment_706265" align="alignnone" width="300"]alt="" width="300" height="200" /> डॉ. एसपी मिश्रा, सिविल सर्जन[/caption] सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने कहा कि बहाली के समय केवल सर्टिफिकेट देखा जाता है. बहाली के बाद जहां से पासआउट होते हैं वहां उनका सर्टिफिकेट जांच के लिए भेजा जाता है. पर जब संवाददाता ने यह जानना चाहा कि कभी सर्टिफिकेट की जांच रिपोर्ट आई है या नहीं, इस पर डॉ. मिश्रा ने थोड़ी देर में बात करने की बात कहकर फोन काट दिया और दोबारा उठाया ही नहीं. यह भी पढ़ें : साहिबगंज">https://lagatar.in/sahibganj-case-filed-against-a-young-man-for-sexually-assaulting-a-minor/">साहिबगंज
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