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Giridih : तिसरी प्रखंड में मनरेगा योजनाओं में अनियमितता बरती जा रही है. इस योजना के तहत प्रखंड क्षेत्र में कई योजनाएं संचालित हैं, जिसमें बड़ी संख्या में मजदूर कार्यरत दिखाएं जा रहे हैं. धरातल पर इन योजनाओं की स्थिति और कुछ है. खटपोक पंचायत के पंचरुखी गांव में मनरेगा योजना के तहत एक तालाब निर्माणाधीन है. तालाब का निर्माण जिस गड्ढ़ानुमा जगह पर किया जा रहा है, वहां पहले से ही पानी जमा है. इससे जाहिर है कि निर्माण कार्य कम ही लागत में पूरा हो जाएगा. कार्य स्थल पर लगे बोर्ड में प्राक्कलन राशि भी नहीं दर्शाया गया है.
28 जनवरी को तालाब निर्माण कार्य में लगे ऑनलाइन जियोटैग में 10 मजदूरों की उपस्थिति दिखाई गई, जबकि केवल 2 मजदूर ही कार्यरत थे. खास बात यह है कि जियोटैग में जिन 10 मजदूरों की उपस्थिति दिखाई गई, उसमें काम कर रहे इन दोनों मजदूर मंजू हांसदा और लेवा किस्कू का नाम ही नहीं है. ये दोनों मजदूर बेलवाना पंचायत के निवासी हैं तथा काम खटपोक पंचायत के पंचरुखी गांव में हो रहा है. मजदूरी की दर में भी अंतर है. मनरेगा में मजदूरी 237 रुपए प्रतिदिन निर्धारित है, जबकि दोनों मजदूरों को 300 रुपए प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जा रहा है. इसके लिए संवेदक की दरियादिली को सलाम करना पड़ेगा.
मनरेगा योजनाओं में तालाब निर्माण समेत अन्य खुदाई कार्य जेसीबी से किया जा रहा है. इससे जाहिर है कि जेसीबी मालिक को भी मनरेगा योजना की राशि दी जाती होगी. इस संबंध में बीडीओ संतोष प्रजापति ने बताया कि पंचरुखी गांव में तालाब निर्माण कार्य के लिए राशि रोक दी गई है. खुद कार्यस्थल पर जाकर जांच करूंगा. अनियमितता की बात सामने पर दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.
मनरेगा योजना के तहत तालाब निर्माण कार्य में पूरे प्रखंड की स्थिति खटपोक पंचायत की तरह है. यह किसी एक पंचायत की स्थिति नहीं बल्कि प्रखंड क्षेत्र के लगभग सभी पंचायतों का यही हाल है.
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