प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को चुनौती नहीं बल्कि अवसर के रूप में ले- प्रो चंद्रभूषण
Giridih: सरिया कॉलेज सरिया में शनिवार को एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डॉ) चंद्रभूषण शर्मा विशिष्ट अतिथि बगोदर के विधायक नागेंद्र महतो, पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह, सचिव मनोहर सिंह बग्गा, प्राचार्य डॉ संतोष कुमार लाल, शासी निकाय सदस्य राजेश कुमार जैन आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर के की.
प्राचार्य डॉ संतोष कुमार लाल ने मुख्य अतिथि कुलपति प्रो डॉ चंद्रभूषण को अंग वस्त्र, पौधा एवं स्मृति चिन्ह देखकर सम्मानित किया. वहीं कॉलेज के सचिव ने विधायक नागेंद्र महतो को अंग वस्त्र स्मृति चिन्ह तथा पौधा देकर सम्मानित किया जबकि पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह को राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो अरुण कुमार के द्वारा अंग वस्त्र,स्मृति चिन्ह एवं पौध देकर सम्मानित किया.
कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत की प्रस्तुति दी. वहीं, प्राचार्य डॉ संतोष कुमार लाल ने स्वागत भाषण में कहा कि यह सेमिनार झारखंड राज्य उच्च शिक्षा परिषद, उच्च शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार के द्वारा आयोजित की गई है.
जिसमें भारतीय ज्ञान प्रणाली एवं आधुनिक शिक्षा प्रणाली के बीच सामंजस्य के बीच चुनौती एवं अवसर विषय पर आयोजित की गई है.
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो भूषण ने कहा कि भारत की प्राचीन कालीन ज्ञान परंपरा काफी उन्नत एवं समृद्ध रही है. प्राचीन काल में नालंदा विश्वविद्यालय विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता था. आज भी यूरोप के लोग भारत से सीखे प्राचीन ज्ञान परंपरा का उपयोग अपने शैक्षणिक कार्यों में कर रहे हैं.
उन्होंने उपस्थित शिक्षकों, शोधार्थियों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को चुनौती के रूप में नहीं बल्कि अवसर के रूप में लेना चाहिए।सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने के लिए सबसे पहले महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर की बहाली अति शीघ्र करने की अपील की।
विशिष्ट अतिथि बगोदर के विधायक नागेंद्र महतो ने कहा कि हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति को आज के दौर में विद्यार्थियों को आत्मसात करने की आवश्यकता है, तभी विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सकेगा. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा की ज्ञान ही सबसे बड़ी पूंजी है इसे निरंतर आप अपने जीवन में बढ़ाते रहें.
विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि भारत की प्राचीन परंपराएं गौरवशाली रही है. प्राचीन कालीन ज्ञान परंपरा के वैज्ञानिक पद्धति को आज के दौर में अपनाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा की शिक्षा पद्धति ऐसी हो जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो.
उद्घाटन सत्र के बाद चार सत्रों में प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में वक्ताओं ने अपने विचारों को रखें. कार्यक्रम का संचालन डॉ आशीष कुमार सिंह तथा प्रो अलका रानी जोजो वहीं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के समन्वयक डॉ श्वेता ने की.
रिसोर्स पर्सन के रूप ये थे शामिल
एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में वक्ता के रूप में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया के डॉ सनत कुमार शर्मा, डॉ प्रियंका झा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी, डॉ मृत्युंजय त्रिपाठी सीसीडीसीनई दिल्ली तथा विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के मानव शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ विनोद रंजन शामिल थे. सभी वक्ताओं ने भारत के प्राचीन ज्ञान परंपरा के बारे में जानकारियां लोगों के बीच चार सत्रों मे साझा की.
विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्य थे शामिल
इस संगोष्ठी में गिरिडीह कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनुज कुमार , आरएनवाई एम कॉलेज बरही के डॉ विमल किशोर, लंगटा बाबा कॉलेज मिर्जागंज के प्राचार्य डॉ कमल नयन सिंह, वनांचल कॉलेज टंडवा के प्राचार्य संजय नारायण दास, पंडित नेहरू मेमोरियल कॉलेज गोमो के डॉ डोमन हजाम, झारखंड कॉलेज डुमरी के प्राचार्य डॉ सुजीत माथुर, पारसनाथ कॉलेज के प्राचार्य डॉ मनोज मिश्रा आदि ने भी भाग लिया.
विभिन्न राज्यों से हुए थे शामिल
इस राष्ट्रीय सेमिनार में प्रो रघुनंदन हजाम ,प्रो कार्तिक प्रसाद यादव, प्रो अरुण कुमार, प्रो रविंद्र कुमार मिश्रा, डॉ प्रमोद कुमार, प्रो चायरा निशा आंईद ,प्रो आसित दिवाकर, प्रो जितेंद्र कुमार, डॉ अरुणा, डॉ बी डी मोदी, डॉ अजय रंजन, प्रो संजय बक्शी, प्रो यशवंत सिंहा, डॉ पिंटू पांडेय, प्रो रंजन कुमार, प्रो राजकुमार, डॉ शशि भूषण, प्रो डेगलाल महतो, प्रो महेंद्र ठाकुर, प्रो विनोद कुमार अकेला, प्रो जागेश्वर यादव, प्रो घनश्याम प्रो राजेश, कुमारी भारती, प्रो राजीव समेत झारखंड -बिहार, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों से शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राओ मिश्रा ने भाग लिया.
Leave a Comment