Giridih : गिरिडीह (Giridih)– जिले के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और आईएमए ने साल 2019 में एक अनूठा कदम उठाया था. आईएमए से जुड़े कई डॉक्टरों ने स्वेच्छा से अपनी सेवाएं निशुल्क देने पर सहमति जताई थी. इस मॉडल के साथ गिरिडीह राज्य का पहला ऐसा जिला बना जहां प्राइवेट चिकित्सक सदर अस्पताल में निशुल्क योगदान को तैयार हुए. इसे लेकर रोस्टर भी तैयार किया गया और 15 जनवरी 2019 से रोज़ाना एक घंटे निशुल्क सेवा शुरू की गई. सदर अस्पताल में डॉ. रितेश सिन्हा और चैताडीह में डॉ. रियाज अहमद निशुल्क सेवा दे रहे थे. आईएमए के अनुसार 37 प्राइवेट चिकित्सकों ने सेवा देने पर सहमति जताई थी.
दिसंबर 2018 में तत्कालीन डीसी डॉ. नेहा अरोड़ा, सिविल सर्जन रामरेखा प्रसाद, आईएमए के अध्यक्ष डॉ. विद्या भूषण और महिला विंग की अध्यक्षा डॉ. अमिता राय की संयुक्त बैठक में इस मॉडल को अमलीजामा पहनाया गया था. प्राइवेट चिकित्सकों की सूची डीसी को सौंपी गई. इसी आधार पर रोस्टर तैयार किया गया और 1 घंटे की सेवा तय की गई.
स्वास्थ्य विभाग ने नहीं दिखाई गंभीरता
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. विद्या भूषण ने कहा कि सभी डॉक्टर निस्वार्थ भाव से निशुल्क सेवा दे रहे थे. मामले में विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई. विभागीय उदासीनता के कारण डॉक्टर कैसे सेवा दे सकते हैं? दोबारा इस पहल को शुरु करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों से राय मशविरा के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है.
आईएमए फिर दिखाए रुचि, होगा स्वागत
सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने कहा कि पहल अच्छी थी. आईएमए फिर सेवा देने को लेकर रुचि दिखाए. पहल का स्वागत किया जाएगा. जिले में चिकित्सकों की कमी है, ऐसी स्थिति में प्राइवेट चिकित्सक सरकारी सेवा देने को तैयार हो तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है.
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