परोसा जा रहा घटिया खाना, मेनू से दही गायब, दूध में भी कटौती
ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए बदल दिया खाने का मेनू
Abhay Verma
Giridih : सदर अस्पताल, गिरिडीह में भर्ती मरीजों को गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक भोजन तो दूर भरपेट खाना भी नहीं दिया जा रहा है. अधिकारियों की जेब भरने के लिए ठेकेदार मरीजों के भोजन पर ही डाका डाल रहा है. सरकार ने भर्ती मरीजों को 100 भोजन पर प्रतिदिन 100 रुपए की दर से राशि देती है, लेकिन इसके अनुरूप खाना नहीं दिया जा रहा है. नाश्ते में भी कटौती कर दी गई है. रविवार के नाश्ते में प्रति मरीज एक अंडा, एक केला, एक सेब, 4 पीस स्लाइस ब्रेड (या एक छोटा पैकेट बिस्किट) व 250 एमएल दूध देने का प्रावधान है. लेकिन यहां महज 100 एमएल दूध दिया जा रहा है. अंडा के साथ केला दिया तो सेब गायब. पौष्टि भोजन नहीं मिलने से मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
सदर अस्पताल की इकाई चैताडीह मातृत्व एवं शिशु कल्याण केंद्र की स्थिति तो और खराब है. यहां मरीजों को अलग-अलग भोजन परोसा जाता है. यही नहीं, ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए भोजन का मेनू ही बदल दिया गया. तुर्रा यह कि निर्धारित मेनू से संवेदक ने दही और हॉर्लिक्स गायब कर दिया है. दूध में भी कटौती कर 100 एमएल कर दिया गया है. जो भोजन परोसा जा रहा वह पौष्टिकता की श्रेणी में नहीं आता. सुबह के नाश्ते में 100 ग्राम दूध के साथ दो स्लाइस ब्रेड दिया जा रहा है. अब कल्पना कीजिए कि 100 ग्राम दूध में ब्रेड कैसे भिगोया जाएगा. दोपहर के खाने में 100 ग्राम खिचड़ी सब्जी के साथ 100 ग्राम दही का प्रावधान है, पर संवेदक ने मेनू से दही गायब कर दिया है. यही हाल शाम की हॉर्लिक्स का है. 50 ग्राम हॉर्लिक्स निर्धारित की गई है पर इस पर डाका डाला जा रहा है. रात के भोजन में भी 100 ग्राम खिचड़ी के साथ सब्जी व 100 ग्राम दही का प्रावधान है, पर प्रसूताओं को कभी दही नसीब नहीं होता है.
टेंडर के प्रावधान की भी अनदेखी, तय रेट से कम में आवंटन
सरकार के प्रावधान के तहत भोजन परोसने वाली एजेंसी प्रति मरीज 90 रुपए से कम का टेंडर नहीं डाल सकती, पर सदर अस्पताल में जिम्मेवारी संभाल रही एजेंसी अन्वी इंटरप्राइजेज को प्रति मरीज 75 रुपए में भोजन परोसने का कार्य दिया गया है. विदित हो कि काम लेने के लालच में कई संवेदक निर्धारित दर से बहुत कम रेट पर टेंडर भर देते हैं. इससे खाने की गुणवत्ता पर असर पड़ता है. यही कारण है कि सरकार ने यह प्रावधान कर दिया है कि मरीजों के भोजन की दर निर्धारित से कम नहीं होनी चाहिए. सरकार ने भोजन की दर प्रति मरीज 90 रुपए रखा है.
मरीज के लिए है पौष्टिक भोजन जरूरी
विशेषज्ञ की मानें तो भोजन सिर्फ पेट भरने का काम नहीं करता, बल्कि कई बीमारियों में यह दवा जैसा काम करता है. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एपीएन देव ने कहा कि प्रसूताओं को अक्सर खिचड़ी दी जाती है, पर दही नहीं मिलने के सवाल पर उपाधीक्षक ने चुप्पी साध ली.
इस तरह होता है घालमेल
मिली जानकारी के अनुसार, कोई घायल या बीमार मरीज सदर अस्पताल में यदि शाम को भर्ती हुआ और अगली सुबह उसकी छुट्टी कर दी गई. लेकिन संवेदक 2 दिन का बिल बनाना है. जबकि मरीज न सुबह का नाश्ता लेता है, न ही दोपहर का खाना.
प्रावधान के अनुसार है मेनू : सिविल सर्जन
इस संबंध में पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने कहा कि सदर अस्पताल व चैताडीह इकाई में मरीजों को प्रावधान के अनुसार ही मेनू तय कर भोजन परोसा जा रहा है. चैताडीह इकाई में मरीजों की सुविधा के लिए मेनू में कुछ बदलाव किया गया है. जहां तक सदर अस्पताल में प्रावधान से कम भोजन दिए जाने की बात है, तो इसकी जांच की जाएगी.
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