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गिरिडीह : जिले में मनाई जा रही राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि

Giridih : जिले में 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जा रही है. राष्ट्रपिता का जुड़ाव गिरडीह से रहा है. वे सत्याग्रह आंदोलन के दौरान 7 अक्टूबर 1925 को गिरिडीह आए थे. उन्होंने जमुआ प्रखंड के परगोडीह गौशाला मैदान में और पचंबा में सभा को भी संबोधित किया था. गांधी जी से प्रभावित होकर यहां की महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन के सहायतार्थ अपनी-अपनी गहनें दान की थी. गौशाला मैदान में बने जिस चबूतरा से राष्ट्रपिता ने जनसभा को संबोधित किया था उस चबूतरा पर आजादी के बाद स्थानीय लोगों ने कई वर्षों तक झंडोतोलन किया. जनसभा को संबोधित करते हुए बापू ने देशबंधु कोष के लिए देशवासियों से सहयोग की अपील की थी. जनसभा में उन्होंने विदेशी वस्त्र, शराब और सरकारी स्कूल व कॉलेजों के बहिष्कार की अपील की थी. गांधी जी को सुनने के लिए काफी संख्या में महिलाएं आई थी. उन्होंने महिलाओं से चरखा चलाने और सूत काटने की अपील की थी. देशवासी स्वदेशी वस्त्र पहने इस पर उन्होंने जोर दिया था. गांधी के आह्वान पर गिरिडीह के कई छात्र सरकारी स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. महिलाओं से चरखा चलाने व सूत काटने की अपील की थी परगोडीह के बाद बापू गिरिडीह के पचंबा स्थित गोल बंगला मैदान पहुंचे और वहां लोगों के साथ बैठक की थी. बैठक में नगरपालिका के सफाई कर्मियों को भी बुलाया गया था. बैठक में बापू ने लोगों से सत्याग्रह आंदोलन में सहयोग देने की अपील की थी. गांधी जी के आह्वान पर परगोडीह और पचंबा में महिलाओं ने अपनी-अपनी जेवर दान कर दी. पचंबा में एक महिला ने राष्ट्रपिता का चरण स्पर्श किया, महिला की कानों में सोने के गहने देखकर देखकर बापू ने कहा कि तुम्हारी कानों में यह अनावश्यक बोझ है. गांधी जी के इतना कहते ही उस महिला ने तुरंत अपने दोनों कानों की गहने दान कर दी. गिरिडीह बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश सहाय ने बताया कि उनके दादा सहित जिले के दर्जनों लोग स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे. उस वक्त स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय लोगों ने जेवर दान करने के लिए जिले वासियों से अपील की थी. कहा जाता है कि राष्ट्रपिता जहां भी जाते, वहां उनके चरण स्पर्श के लिए लोग उमड़ पड़ते. इससे उनके पांवों में छाले पड़ जाते. गिरिडीह में उनके पैरों की सुरक्षा के लिए चार स्वयंसेवक लगाए गए थे. जिले के जगरनाथ सहाय, बजरंग सहाय, सदानंद प्रसाद और अब्दुल रज्जाक बापू के पांवों की सुरक्षा में लगाए गए थे. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=230681&action=edit">यह

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