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गिरिडीह : आदिवासी छात्र युवा संगठन ने मनाया हूल दिवस

युवाओं ने हूल दिवस को बताया भारत की आजादी का पहला आंदोलन
Ganwa (Giridih) : आदिवासी छात्र युवा संगठन ने गावां प्लस टू उच्च विद्यालय में सिद्धू-कान्हू के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर हुल दिवस मनाया. आदिवासी छात्र युवा संगठन के अभय मुर्मू, संजय बेसरा व दुर्गा बेसरा, जगदीश मरांडी ने कहा कि जब भी भारत की आज़ादी की बात होती है, तो 1857 के विद्रोह को अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ पहला विद्रोह बताया जाता है, लेकिन इससे पहले 30 जून 1855 को सिद्धू-कान्हू के नेतृत्व में साहेबगंज ज़िले के भगनाडीह गांव से विद्रोह शुरू हुआ था. इसी दिन को हुल दिवस कहा जाता है. इस दिन सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव व बहनों फूलों-झानो ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ क्रांतिकारी बिगुल फूंका था. उन्होंने संथाल परगना के भगनाडीह में लगभग 50 हज़ार आदिवासियों को इकट्ठा करके अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी. इसमें 20 हज़ार आदिवासी शहीद हो गए थे. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=683771&action=edit">यह

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