खिरोद वासी कई बार जनप्रतिनिधियों से लगा चुके हैं गुहार, नतीजा सिफर
Tisri (Giridih) : गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के खिरोद गांव के लोगों ने इस बार लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का एलान कर दिया है. नेताओं व जनप्रतिनिधियों के बड़े बोल और झूठे वादों से नाराज ग्रामीणों ने ऐसा निर्णय लिया है. प्रखंड मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर बसे एक हजार की आबादी वाले इस गांव के लोग एक अदद पुल के लिए दशकों से तरस रहे हैं. गांव को मुख्य सड़क और तमाम सुविधाओं से जोड़ने वाली नारायणा नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामणों को रोज भारी मशक्कत करनी पड़ती है. बरसात के दिनों में जब नदी में बाढ़ आती है, तो स्थिति और नरकीय बन जाती है. स्थिति ऐसी हो जाती है कि मरीज और गर्भवती महिलाओं को खटिया पर सुलाकर नदी के उस पार सड़क तक पहुंचाना पड़ता है. बरसात में कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. इतना ही नहीं बरसात के दिनों में नदी पार करने के दौरान कई मवेशियों की मौत भी हो चुकी है.
फरवरी 2023 में लोगों ने समस्या को प्रमुखता से उठाया था
ग्रामीणों ने फरवरी 2023 में ही पुल नहीं बनाये जाने पर मिडिया के माध्यम से जनप्रतिनिधियों व राजनीतिक दलों को वोट बहिष्कार की चेतावनी दी थी. इसके बाद स्थानीय विधायक बाबूलाल मरांडी ने नदी पर तीन स्पेन का पुल बनाने की अनुशंसा की थी, लेकिन आगे कुछ काम नहीं हुआ. इससे लोगों के सब्र का बांध धीरे-धीरे टूटने लगा. शनिवार को भारी संख्या में गांव के महिला-पुरुष नारायणा नदी किनारे जुटे और मांग को लेकर आवाज बुलंद की.
ग्रामीणों ने सुनाया अपना दुखड़ा
ग्रामीण खेमलाल पंडित ने बताया कि आजादी के बाद से ही नारायण नदी पर पुल निर्माण के लिए यहां के लोग तरस रहे हैं. उनलोगों ने क्षेत्र के नेता बाबूलाल मरांडी, अन्नपूर्णा देवी, राजकुमार यादव को समस्या से अवगत कराया, लेकिन समस्या जस की तस है. उन्होंने कहा कि ऐसे में वोट देने से क्या फायदा. विजय पंडित ने कहा कि बरसात के मौसम में कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. मरीजों के इलाज में भारी परेशानी झेलनी पड़ती है. ग्रामीण बसंती देवी ने कहा कि वह अपने विवाह के समय से ही पुल की समस्या को देख रही है. चुनाव के समय नेता वोट मांगने आते हैं, तमाम तरह के वादे भी करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद भूल जाते हैं.
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