Giridih : गिरिडीह : (Giridih)– विकासशील और श्रमप्रधान भारत की अर्थव्यवस्था की नींव यहां के श्रमिक हैं. लेकिन वही तबका दशकों से सबसे ज़्यादा हाशिये पर है. सरकारी फ़ाइलों में श्रमिकों के लिए कई योजनाएं दर्ज़ हैं. विभागीय उदासीनता और जागरूकता की कमी के कारण योजनाएं फ़ाइलों तक ही सीमित है. गिरिडीह जिले से श्रमिकों की बड़ी तादाद हर रोज पलायन कर रही है. जागरूकता के अभाव में मजदूरों को श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. प्रावधान के तहत सभी पंचायतों में कैंप लगाकर मनरेगा, खेतिहर, असंगठित एवं घर में काम करने वाले मजदूरों को योजनाओं की जानकारी दी जानी है. जिले में कुल 84 हज़ार निबंधित मजदूर हैं. इनमें असंगठित क्षेत्र के 39 हज़ार और भवन निर्माण से जुड़े 45 हज़ार मजदूर शामिल हैं.
प्रवासी मजदूरों की मौत पर डेढ़ लाख मुआवजा का प्रावधान
अपने गृह जिले से बाहर जाकर काम करने वाले प्रवासी मजूदरों की मौत पर डेढ़ लाख रुपये मुआवजा का सरकारी प्रावधान है. प्रवासी मजदूरों को जिले से बाहर जाने से पूर्व पंचायत सेवक या श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी से निबंधन कराना आवश्यक होता है. एजेंट के माध्यम से बाहर जाने पर हरा और अपनी इच्छा से दूसरे राज्य जाने पर लाल रंग का परिचय पत्र निर्गत किया जाता है. परिचय पत्र धारी मजदूरों की मौत होने पर डेढ़ लाख रुपये मुआवजा राशि परिजनों को दी जाती है. बिना परिचय पत्र वाले मजूदरों की मौत होने पर एक लाख रुपये मुआवजा राशि दी जाती है.
5 से 50 हजार तक की छात्रवृत्ति का प्रावधान
भवन निर्माण से जुड़े मजदूरों के बच्चों को सरकार पांच से पचास हजार तक रुपये तक की छात्रवृत्ति देती है. कक्षा एक से पांच तक के लिए 5 हज़ार, कक्षा छह से आठवीं तक पर 45% अंक रहने पर 5 हज़ार, कक्षा नौवीं से बारहवीं तक 45% अंक लाने पर 10 हज़ार, 45% अंकों के साथ स्नातक करने पर 20 हज़ार, स्नातकोत्तर में भी 20 हज़ार आर्थिक सहायता का प्रावधान है. इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में सफल रहने पर 1 साल बाद 50 हज़ार रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति दी जाती है. वहीं असंगठित मजदूरों के बच्चों के लिए कक्षा 1 से 4 तक के छात्र-छात्राओं को 250, पांचवीं से आठवीं तक के छात्र को 500 व छात्रा को 950, कक्षा नवमी में छात्र को 700 व छात्राओं को ग्यारह सौ, कक्षा ग्यारहवीं से बारहवीं तक छात्र को 3 हजार और छात्रा को 34 सौ रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति का प्रावधान है.
17 लोगों को मिली दुर्घटना सहायता योजना का लाभ
वित्तीय वर्ष 2020-21 में दुर्घटना सहायता योजना के तहत 17 लोगों को लाभ दिया गया. इसी प्रकार मातृत्व योजना में 222, मेधावी छात्र-छात्रा छात्रवृत्ति योजना में 1267 और अंत्येष्टि सहायता योजना में 25 लोगों को लाभ दिया गया.
274 रुपया रोजाना चिकित्सा सहायता
निबंधित मजदूरों को 5 या इससे अधिक दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने पर रोजाना 274 रुपये सहायता राशि देने का प्रावधान है. अधिकतम 40 दिनों तक सहायता राशि दी जा सकती है. वहीं मातृत्व योजना के तहत दो बच्चों तक 15-15 हजार की राशि दी जाती है.
जागरूकता अभियान के लिए 36 श्रमिक मित्र
जिले में विभागीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार व जागरूकता अभियान के लिए सभी प्रखंड में श्रमिक मित्र रखे गए हैं. उन्हें एक मजदूरों के निबंधन पर 10 से 15 रुपये भुगतान किया जाता है. निर्धारित मानदेय नहीं होने के कारण जागरुकता को लेकर विभागीय दबाव नहीं रहता है. कमीशन की राशि भी इतनी कम है कि वह इसे गंभीरता से नहीं लेते. जिले की आबादी के हिसाब से निबंधित मजदूरों की संख्या काफी कम है.
13 की जगह 1 श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी
श्रम अधीक्षक रविशंकर ने बताया कि विभाग में अधिकारियों की कमी है. जिले में 13 श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी की आवश्यकता है, लेकिन कार्यरत मात्र एक हैं. इन एक अधिकारी पर तीन-तीन जिलों की जिम्मेवारी है. यही कारण है कि जागरूकता कार्यक्रम रफ्तार नहीं पकड़ पाई. नियम के मुताबिक जिले के सभी प्रखंडों में एक-एक श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी की आवश्यकता है.
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