जादू हाथों की कला और स्वस्थ मनोरंजन : गोगिया सरकार
सरहद पार 9000 सेकंड्स में रंगीन इंद्रजाल थ्रिलपैक मनोरंजन का परोस चुके हैं खजाना
जादू के माध्यम से बौद्धिक व्यायाम को दे रहे बढ़ावा
स्कूली बच्चों के लिए करेंगे स्पेशल प्रोग्राम, जादू से बिखेर रहे साधना और दर्शन के भी आयाम
Amarnath Pathak
Hazaribagh : अचानक हवा में लड़की उड़ने लगती है, तो पलक झपकते कबूतर गायब हो जाता है. दो धड़ों में बंटा युवक भी बोलने लगता है. यह करतब हजारीबाग के नगर भवन में लोगों को देखने को मिल रहा है. दरअसल जादू की इस कला का प्रदर्शन कर रहे हैं बिहार के दानापुर निवासी मशहूर जादूगर गोगिया सरकार और उनकी 25 सदस्यीय टीम. पिछले 35 वर्षों से जादूगर गोगिया सरकार देश की नहीं, बल्कि सरहद पार अमेरिका, जापान, जर्मनी और इंग्लैंड में भी 9000 सेकंड्स में रंगीन इंद्रजाल थ्रिलपैक मनोरंजन का खजाना परोस चुके हैं.
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बच्चे और महिलाओं की उमड़ रही भीड़
गोगिया सरकार की पारिवारिक पृष्ठभूमि रेलवे से जुड़ी रही है. पिता और दादा रेलवे में काम करते थे. लेकिन बचपन से ही गोगिया सरकार का झुकाव जादू की कला की ओर रहा. वह कहते हैं कि जादू हाथों की कला, मनोविज्ञान और गणित से जुड़ा स्वस्थ मनोरंजन है. उनके शो में बच्चे और महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है. स्कूली बच्चों के लिए विशेष प्रोग्राम लेकर आ रहे हैं. अपराह्न तीन से छह और शाम छह से नौ के शो में जादू के माध्यम से बौद्धिक व्यायाम को बढ़ावा दे रहे हैं. इससे तनाव मिटता है और मानसिक शांति भी मिलती है.
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जादू में विज्ञान के साथ अध्यात्म भी समाहित
जादू में विज्ञान के साथ अध्यात्म भी समाहित है. यह कला वेद, रामायण, महाभारत आदि से भी जुड़ा है. यह साधना और दर्शन भी है. विशुद्ध भारतीय पौराणिक कलाओं में एक जादू के संरक्षण के प्रति सरकार को पहल करने की जरूरत है. साथ ही जादूगरों का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए सरकार उन्हें मंच के साथ सम्मान भी दे. डेढ़ दशक के बाद जादूगर गोगिया सरकार का हजारीबाग में लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया. पूर्व आईजी दीपक वर्मा और विनोबभावे विवि के पूर्व वीसी डॉ मुकुल नारायण देव ने जादू शो का उद्घाटन किया. मौके पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी जादू देख गोगिया सरकार की कला की सराहना की. 100 से 300 रुपए तक शो के टिकटों के लिए काउंटर पर खूब भीड़ उमड़ रही है. जादूगर का कहना है कि मोबाइल और हाई स्पीड इंटरनेट युग में सिनेमा हॉल से भले ही दर्शक दूर हो गए, लेकिन जादू से लोगों का मोह भंग नहीं हुआ है. चूंकि यह स्वस्थ मनोरंजन का साधन है, इसलिए दर्शकों का भरपूर प्यार जादू की कला को आज भी मिल रहा है.