ही जमीन के दो रिकॉर्ड, एक असली एक नक़ली! नामकुम में जमीन लूट की तैयारी
रिकॉर्ड रूम से निकाली गयी नकल को बनाया गया है आधार
जमीन कारोबारियों के बीच उक्त भूमि की डील के लिए जो पेपर दिए गए हैं, उसका पहला आधार बनाया गया है, रिकॉर्ड रूम से निकाली गयी नकल. जानकर बताते हैं कि दस्तावेज को टेम्पर करने का खेल यहीं से शुरू किया गया है. क्योंकि रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में जो मूल दस्तावेज मौजूद हैं, उसमें और उस दस्तावेज में काफी अंतर है, जिसे आधार बनाकर जमीन बेचने की तैयारी की जा रही है. दोनों ही दस्तावेज रिकॉर्ड रूम के वॉल्यूम 43, पेज नंबर 233-234 वर्ष 1947 के हैं. लेकिन रिकॉर्ड रूम में उक्त पेज वॉल्यूम में जो मूल दस्तावेज मौजूद हैं, उसमें महिंद्र नाथ सिंह के अलावा अन्य का नाम दर्ज है. [caption id="attachment_254076" align="aligncenter" width="600"]alt="जमीन एक कागज दो, रिकॉर्ड रूम में दर्ज है महेंद्र नाथ का नाम, मार्केट में घूम रहा महादेव उरांव के नाम का पेपर" width="600" height="400" /> जमीन की पेपर[/caption] [caption id="attachment_254079" align="aligncenter" width="600"]
alt="जमीन एक कागज दो, रिकॉर्ड रूम में दर्ज है महेंद्र नाथ का नाम, मार्केट में घूम रहा महादेव उरांव के नाम का पेपर" width="600" height="400" /> जमीन की पेपर[/caption] जबकि दूसरे दस्तावेज में भी वॉल्यूम 43 पेज नंबर 233-234 और वर्ष 1947 ही दर्ज है. लेकिन उसमें महादेव उरांव का नाम दर्ज दिखाया जा रहा है और उसकी बिक्री वली अहमद के नाम पर दिखाई जा रही है. जमीन के मामलों के जानकर वकील बताते हैं कि दोनों दस्तावेज देखने पर यह साफ प्रतीत होता है कि पेपर में छेड़छाड़ की गई है. जाली पेपर बनाने और जाली पेपर के आधार पर ज़मीन की खरीद बिक्री के इस खेल में पूरा रैकेट शामिल है. क्योंकि इतनी बड़ी साजिश को अकेले अंजाम नहीं दिया जा सकता. इस बार से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि रिकॉर्ड रूम और अंचल के कर्मचारी इस मिलीभगत में शामिल नहीं हैं. इसे भी पढ़ें –विधानसभा">https://lagatar.in/governors-address-in-the-assembly-said-government-has-made-reforms-in-many-policies-in-public-interest/">विधानसभा
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