Godda : गणतंत्र दिवस पर स्थानीय मेला मैदान में लगने वाले मेले को राजकीय मेला घोषित किया गया है. लेकिन जमीन पर राजकीय जैसा कुछ भी नहीं. राजकीय मेला घोषित होने के बाद लोगो को लगा कि अब मेला का स्वरूप बदलेगा. वृहद पैमाने पर आयोजन होंगे. मनोरंजन के नए-नए साधन, खेल-तमाशे वाले आयेंगे. सबकुछ भव्य और आकर्षित होगा. लेकिन ऐसा कुछ हो नही पाया.
इस बार भी मेले में हर वर्ष की भांति कृषि से संबंधित प्रदर्शनी लगाई गई है. साथ ही अन्य विभागों के स्टॉल लगा कर जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जा रही है. कृषि प्रदर्शनी में कृषि विभाग की ओर से राजकीय मेले को देखते हुए ज़रूर कुछ विशेष तैयारी की गई है. प्रदर्शनी में विभिन्न तरह के फल, फूल, सब्जी व अन्य कृषि उत्पाद लगाएं गए हैं. मेला मैदान में विभिन्न सामानों के साथ दुकानदार अपनी दुकान सजाएं हुए हैं. मेला में मौत का कुआं, तारामाची झूला, चित्रहार ब्रेक डांस, बच्चो के लिए रेंजर झूला सहित अन्य मनोरंजन के साधन लगे है. मेला में लगा थिएटर चर्चा का केन्द्र बना हुआ है.
सिकुड़ता जा रहा मैदान
राजकीय मेला के लिए जगह ही कम पड़ रहा है. अतिक्रमण की वजह से हर वर्ष मैदान छोटा हो जाता है. वर्तमान में मेला मैदान में सभी जगहों पर दुकाने व अन्य मनोरंजन की चीजें दिखाई जा रही है. मेला के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल प्रतियोगिताएं गांधी मैदान में आयोजित की जा रही है.
ऐतिहासिक है मेले का आयोजन
वर्ष 1950 से स्थानीय अधिवक्ताओं, कुछ कारोबारियों व बुद्धिजीवियों के सहयोग से गणतंत्र दिवस के दिन मेला लगाने की शुरुआत हुई थी. तब से इस सप्ताहव्यापी मेले का आयोजन होता आ रहा है. बीते कुछ वर्षों में कुछ लोगो की पहल पर सरकार से राजकीय मेला घोषित करवाया.
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