Godda: भीषण गर्मी में बिजली की कटौती किए जाने से लोग बेहाल हैं. बिजली विभाग की इस मनमानी से आम नागरिकों में आक्रोश है. कई सरकारें आई और गई मगर किसी भी सरकार ने इस विभाग को सुधारने के लिए कोई महत्वपूर्ण पहल नहीं की. पूर्व में रघुवर सरकार में गोड्डा में आधे दर्जन के करीब सब स्टेशन बनवाकर विभाग की दशा को सुधारने का प्रयास किया गया था, मगर सरकार के जाने के बाद से हालत फिर से बदतर हो गए. वर्तमान सरकार ने बिजली की वितरण व्यवस्था को सुधारने की दिशा में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया. अभी हालत यह है कि विभाग में न तार उपलब्ध है और न पोल और न ही इंसुलेटर ही मिलता है. विभाग के अधिकारी संसाधन और मैनपावर की कमी का रोना रोते हैं.
संसाधन नहीं रहने कारण विभाग लाचार
अधिकारियों की माने तो संसाधन नहीं रहने कारण वह लोग भी लाचार हैं. ऐसे में आम जनता की परेशानी को समझा जा सकता है. दिन में तापमान 42 डिग्री को पार कर जाता है और इस दौरान अगर बिजली की कटौती कर ली जाए तो आम नागरिकों की परेशानी को आसानी से समझा जा सकता है. 24 घंटे में मुश्किल से 10 से 15 घंटे ही बिजली मिल रही है. वह भी नियमित तौर पर नहीं मिल पा रही है. नियमित आपूर्ति नहीं होने के कारण लोगोंकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है. इस संबंध में अब विभिन्न संगठनों के लोग सामने आकर विरोध की आवाज उठा रहे हैं और आंदोलन की बात कर रहे हैं. सरकार की लापरवाही के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. शहर में बिजली की अनियमितता को लेकर नागरिकों की बैठक भी की गई और एक सप्ताह में सुधार नहीं होने पर आंदोलन किए जाने की भी चेतावनी दी गई है.
लोग मर्जी से दो ट्रांसफार्मर से जोड़ लिए है तार
विभाग की लापरवाही के कारण लोग अपने मन से अवैध रूप से तार की अदली बदली कर दो अलग अलग ट्रांसफार्मर से तार जोड़ लिए हैं. ताकि हमेशा मुफ्त बिजली मिलती रहे. इससे लाइन के उड़ने की संभावना बनी रहती है. एक घरेलू कनेक्शन पर ओवरलोड देकर तीन से चार एसी लगाकर दूसरे उपभोक्ता को वोल्टेज की दिक्कत पैदा कर रहे हैं. ऐसा माजरा शहर के चपरासी मोहल्ला वार्ड नंबर ग्यारह में देखने को मिली. इस संबंध में विभागीय अभियंता ने कार्रवाई का आश्वाशन दिया जो अभी लंबित ही है.
सांसद ने भी लगाया विभाग लापरवाही का आरोप
बिजली की अनियमितता पर स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया के जरिए प्रतिक्रिया देते हुए देते हुए कहा कि यह विभाग की लापरवाही है. पिछले पांच वर्षों से विभाग ने संधाधन जुटाने की दिशा में कोई काम नहीं किया है. जिसकी वजह से नागरिकों को परेशान होना पड़ रहा है. अब आंदोलन के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है.
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