Ranchi : कृषि मंत्री बादल ने सोमवार को हेसाग स्थित पशुपालन विभाग के सभागार में राज्य गोधन न्याय योजना का लोकार्पण किया. उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील किसानों और दुग्ध उत्पादकों को संबोधित किया. कहा कि राज्य में गोवंश के गोबर से हम जैविक कृषि के क्षेत्र में झारखंड की पहचान बना सकते हैं. आज हम केमिकल फर्टिलाइजर पर आश्रित हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर छोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के पांच जिलों से गोधन न्याय योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हो रही है. इस प्रोजेक्ट की सफलता की समीक्षा के उपरांत पूरे राज्य में इसे चलाने की योजना बनाएंगे.
गोपालकों से 2 रुपए किलो गोबर सरकार लेगी
बादल ने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का उपयोग हो, हमारे उत्पादों को जैविक की मान्यता मिले, इसके लिए एजेंसी और सेंटर बनाने की तैयारी सरकार कर रही है. वर्मी कंपोस्ट के लिए 10 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. अगर यह सफल रहा, तो 100 करोड़ की योजना भी बनाई जाएगी. इस योजना के तहत राज्य के किसानों को 8 रुपए किलो वर्मी कंपोस्ट उनके इलाके में ही उपलब्ध हो सकेगा. साथ ही गोपालकों से 2 रुपए किलो गोबर सरकार लेगी और प्रसंस्करण के बाद किसानों को वर्मी कंपोस्ट के रूप में उपलब्ध कराएगी.
राज्य को 22000 करोड़ की बचत हो सकेगी
इस मौके पर ऑर्गेनिक फार्मिंग अथॉरिटी ऑफ झारखंड के सीईओ शमहालिंगा शिवाजी ने कहा कि गोबर में पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं. इसीलिए इस योजना से 504 लाख मीट्रिक टन उत्सर्जित गोबर को नाइट्रोजन के रूप में कन्वर्ट किया जा सकेगा और इस कन्वर्जन से राज्य को 22000 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है.
कृषकों की आय में वृद्धि करना उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य झारखंड राज्य में उपलब्ध गोवंश के द्वारा उत्सर्जित गोबर का उपयोग वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हुए कृषक की रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करने एवं कृषकों की आय में वृद्धि करना है. इस अवसर पर मुख्य रूप से कृषि निदेशक चंदन कुमार, उद्यान निदेशक, सीईओ ओफाज महालिंगा शिवाजी, निदेशक हॉर्टिकल्चर नेसार अहमद, संयुक्त निदेशक शशिभूषण अग्रवाल, रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी भविष्यानंद जी सहित जिला कृषि पदाधिकारी समेत बड़ी संख्या में कृषक और कृषक मित्र उपस्थित थे.
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