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गोपाल दास बनर्जी दशकों से मलूटी के संरक्षण और संवर्धन में लगे थे

Dumka: झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड में एक गांव है मलूटी. इस गांव को मंदिरों का गांव कहा जाता है. विश्व के पर्यटन मानचित्र पर स्थापित कराने वाले व्यक्ति का नाम था गोपालदास बनर्जी. मलूटी को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले गोपाल दास बनर्जी का बुधवार को निधन हो गया.   गोपालदास बनर्जी ने अपना जीवन एक शिक्षक के रूप में शुरू किया था. लगभग 40 साल से वे मलूटी के संरक्षण और संवर्धन में लगे थे. संयुक्त बिहार सरकार से लेकर अबतक वे हमेशा टेराकोटा शैली के बने मलूटी के मंदिरों की हिफाजत के लिए सरकार और व्यवस्था से गुहार लगाते रहे. इसे भी पढ़ें- मोदी">https://lagatar.in/three-stories-of-growth-in-modi-era-lic-bpcl-and-visakhapatnam-steel-plant/142138/">मोदी

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कई किताबें लिखी थीं

उन्हीं के बदौलत 26 जनवरी की झांकी में झारखंड से मलूटी का चयन हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से झारखंड के इस मंदिर के गांव की झांकी देखी थी. सादगी से भरे गोपाल दास जी के पास मलूटी, तारापीठ और बामाखेपा का इतिहास मौजूद था. उन्होंने बाज के बदले राज, नानकार मलूट और गुप्तकाशी जैसी किताब लिख कर मलूटी का परिचय लोगों से कराया. इसे भी पढ़ें- सरायकेला:">https://lagatar.in/saraikela-miscreants-loot-motorcycle-near-canal-scold-victim-from-rajnagar-police-station/142356/">सरायकेला:

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