Ranchi: नवरात्रि के शुरूआत के पहले दिन जैप वन के गोरखा जवानों ने अपनी अनूठी पूजा परंपरा से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया है. रांची के जैप परिसर में नवरात्रि का शुभारंभ कलश स्थापना से हुई. जिसमें मां शक्ति की आराधना के साथ शस्त्रों की पूजा और फायरिंग सलामी की परंपरा दिखी, गोरखा जवानों ने फायरिंग कर मां दुर्गा को सलामी दी, जो उनकी वीर परंपरा और शक्ति की आराधना का प्रतीक है.
नौ दिनों तक लगेंगे मां दुर्गा के जयकारे
नौ दिनों तक गोरखा जवानों की पत्नियां लगातार कलश की परिक्रमा मुद्रा में बैठेंगी और पूजन करेंगी. इस दौरान मां शक्ति के जयकारे और मंत्रोच्चार गूंजते रहेंगे. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों में अर्पित कर उनकी पूजा करेंगे. इसके पीछे की आस्था है कि इससे उनके हथियार कभी धोखा नहीं देंगे और हमेशा सटीक चलेंगे.
101 बलि देने की परंपरा
नवमी पर 101 बलि देने की परंपरा भी यहां अब तक जारी है. पूजा के बाद फिर से फायरिंग कर मां शक्ति को सलामी दी जाती है. 1880 में शुरू हुई परंपरा रांची के इस शक्ति पूजन का इतिहास भी बेहद पुराना है. 1880 में गोरखा ब्रिगेड ने यहां पहली बार नवरात्रि के अवसर पर इस पूजा की शुरुआत की थी. पूजा की परंपरा आज भी उसी श्रद्धा और अनुशासन के साथ निभाई जा रही है.
फूल पाती शोभायात्रा
महासप्तमी पर यहां फूल पाती शोभायात्रा निकलेगी. इसमें नौ प्रकार के पेड़ों की शाखाओं को एकत्र कर पूजा की जाती है. इस अवसर पर गोरखा जवान और उनके परिजन प्रकृति की रक्षा और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की कामना करते हैं. गोरखा जवानों की बहादुरी और उनकी शक्ति पूजा परंपरा ने उन्हें हमेशा से ही विशिष्ट पहचान दिलाई है.
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