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10.50 लाख प्रवासी श्रमिकों की सरकार को जानकारी नहीं

  • श्रमाधान पोर्टल पर एक लाख 70 हजार 832 मजदूरों का ही डेटा
  • प्रवासी मजदूरों को वोट के लिए प्रेरित करना चुनाव आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती
  • गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, गोड्डा, दुमका,कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के हैं सबसे अधिक प्रवासी श्रमिक
  • प्रवासी श्रमिकों ने वोट नहीं दिया, तो मतदान प्रतिशत में होगी गिरावट
Praveen Kumar Ranchi : चुनाव आयोग ने झारखंड के प्रवासी मजदूरों से संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करने का मन बनाया है. इसे लेकर आयोग ने उच्चस्तरीय बैठक भी की थी. राज्य में 25 अप्रैल 2024 तक कुल एक लाख 70 हजार 832 श्रमिकों ने ही प्रवासी श्रमिक के रूप में निबंधन कराया है. कोरोना काल में (वर्ष 2020-21) विभिन्न राज्यों में काम करनेवाले झारखंड लौटे श्रमिकों की संख्या करीब 10.5 लाख से अधिक थी. जिसका निंबधन लेबर कंट्रोल रूम झारखंड सरकार ने किया था. लेकिन श्रम विभाग सभी प्रवासी श्रमिकों का निबंधन नहीं करा पाया. विभाग की लापरवाही के कारण प्रवासी श्रमिकों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ता है. प्रवासी श्रमिक कंट्रोल रूम के पुराने आंकड़े बताते हैं कि लाखों श्रमिक बाहर काम कर रहे हैं, पर उन लोगों ने निबंधन नहीं कराया है. हालांकि कोरोना के समय यह आंकड़ा सामने आया था.

राज्य से पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या 15 लाख से अधिकः बलराम

खाद्यान मामले में सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार रहे बलराम कहते हैं कि राज्य के प्रवासी मजदूरों की संख्या 15 लाख से अधिक है. चुनाव महापर्व में प्रवासी श्रमिकों के मतदान नहीं करने से वोटिंग प्रतिशत में कमी आएगी. बलराम बताते हैं कि हाल के दिनों में आदिवासी इलाके में ज्यादा जा रहा हूं. आदिवासी गांवों में हर दूसरे घर से काम के लिए लोग दूसरे राज्य गये हैं. आदिवासी क्षेत्र से पलायन साइलेंटली होता है. गांव जाकर ही सही स्थिति देखी जा सकती है और पलायन का पता लगाया जा सकता है.

गिरिडीह, पलामू, चतरा, गोड्डा और दुमका लोकसभा क्षेत्र के सबसे अधिक प्रवासी श्रमिक

फिया फाउंडेशन के जॉन्सन टोपनो कहते हैं कि कोरोना के समय 10 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों का लेबर कंट्रोल रूम ने रजिस्ट्रेशन किया था. महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना और केरल में राज्य के सबसे अधिक प्रवासी मजदूर थे. वहीं गिरिडीह, पलामू,गढ़वा, गोड्डा, दुमका जिला के सबसे ज्यादा प्रवासी श्रमिक दूसरे राज्यों में काम कर रहे थे.

क्या किया था राज्य सरकार ने तय

कोरोना के समय राज्य सरकार ने तय किया था कि अब से जो भी श्रमिक राज्य के बाहर जायेंगे, उनका प्रवासी श्रमिक के रूप में निबंधन कराया जाएगा. साथ ही अन्य सभी प्रकार के श्रमिक भी जो राज्य में ही रहते हैं, वह भी निबंधन करायेंगे. इसके लिए ई-श्रम निबंधन पोर्टल लाया गया. राज्य सरकार ने वापस लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए निबंधन की व्यवस्था की थी, लेकिन यह काम नहीं हो सका.

निबंधन कराने पर सरकार दे रही है कई तरह के लाभ

निबंधन करानेवाले श्रमिकों की मृत्यु होने या दुर्घटना में घायल होने पर आश्रितों को दो लाख रुपये देने का प्रावधान है. वहीं बगैर निबंधन वाले मजदूरों को डेढ़ लाख रुपये देने का प्रावधान है. दुर्घटना में एक अंग या एक आंख का नुकसान होने पर एक लाख रुपये देने का प्रावधान है. वहीं मौत होने पर मजदूर के शव व उसके परिवार को पैतृक आवास तक पहुंचाने का संपूर्ण खर्च राज्य सरकार वहन करती है.

किस जिले से कितने प्रवासी श्रमिकों ने कराया निबंधन, कोरोना के समय का आंकड़ा

जिला-                 निबंधित श्रमिकों की संख्या-           कोरोना के समय श्रमिकों की संख्या गिरिडीह-                      19059                             208975 गोड्डा-                           16531                            69597 पाकुड़-                        14716                             10756 प. सिंहभूम-                  13794                            13655 गुमला-                          13256                            9393 दुमका-12937 - 28764 साहिबगंज-12588 - 33664 बोकारो-9519- - 49615 हजारीबाग-9143- - 46815 पलामू-8064 - 117291 गढ़वा-7373 - 117715 सिमडेगा-6995 - 4045 लातेहार-5166 - 31071 धनबाद-5112- - 23518 पूर्वी सिंहभूम-2584 - 13655 रामगढ़-2452 - 8206 देवधर-2119 - 48911 रांची-1990 - 18611 चतरा-1870 - 46891 कोडरमा-1848 - 21031 खरसावां-1518 - 4701 खूंटी-1150 - 5121 लोहरदगा-933 - 2827 जामताड़ा-115 - 16457 कुल-1,70,832 कुल-10,47,711 [wpse_comments_template]
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