Ranchi: राज्य के हाई स्कूल और प्लस टू विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए तैयार नियमावली को विभागीय स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद विरोध और आलोचना तेज हो गयी है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षांडंगी ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली के उस प्रावधान को जोड़ने पर कड़ा ऐतराज जताया है जिसमें राज्य सरकार ने झारखंड से मैट्रिक, इंटर पास होने को अनिवार्य किया है. भाजपा इस मुद्दे पर यूपीए गठबंधन सरकार को घेरने की तैयारी में है. इसै भी पढ़ें-
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नियोजन नीतियों में तुष्टिकरण से परहेज करे सरकार- कुणाल
कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि सरकार को नियोजन नीतियों में तुष्टीकरण से परहेज़ करना चाहिए और लार्जर पब्लिक इंटरेस्ट को ध्यान में रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नियोजन नीतियों में सरलता रहनी चाहिए ना कि अड़ियलपन. प्रवक्ता ने झारखंड सरकार और शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो को सुझाव दिया है कि अनावश्यक मुकदमेबाजी बढ़ाने वाले उबाऊ नियम बनाने से अब झारखंड सरकार को परहेज़ करना चाहिए. सरकार के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में केस की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है, इसका ख़राब असर सरकार की सेहत पर पड़ना लाज़िमी है. इसै भी पढ़ें-
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संवैधानिक मूल्यों पर कुठाराघात करने से परहेज करना चाहिए
उन्होंने कहा कि राज्य के बाहर के स्कूलों से पढ़ाई पूरी करने वाले युवा जो झारखंडी हैं, उनके बारे में भेद करने का सरकार का निर्णय भी कानूनी तौर पर वैध नहीं है. भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली जैसी भाषाओं को जेएसएससी और जेटेट से हटाये जाने के नियम को भी उन्होंने असंवैधानिक और अपरिपक्व बताया. कहा गया कि राज्य की बड़ी आबादी के लिए यह भाषाएं ही उनकी मातृभाषा है. हर वर्ग के भाषा, संस्कृति का सम्मान करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. झारखंड सरकार को संवैधानिक मूल्यों पर कुठाराघात करने से परहेज़ करना चाहिए. [wpse_comments_template] .
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