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8 IPS को अतिरिक्त प्रभार देने के मामले को लेकर सरकार गंभीर, डीजीपी से पूछा स्पष्टीकरण

Ranchi: झारखंड सरकार ने डीजीपी द्वारा 8 आइपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देने के मामले को गंभीरता से लिया है. इसे लेकर गृह विभाग ने डीजीपी अनुराग गुप्ता से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही कहा है कि भविष्य में इस तरह की घटना दुबारा ना हो. गृह विभाग ने 10 जून को डीजीपी कार्यालय से जारी उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें 8 आइपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था. 

जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों डीजीपी ने पुलिस मुख्यालय के स्तर से एक आदेश जारी कर राज्य के 8 आइपीएस अधिकारियों को रिक्त पदों का प्रभार देने का आदेश जारी किया था. इसे लेकर 13 जून को  गृह विभाग के संयुक्त सचिव आलोक कुमार ने डीजीपी को एक पत्र लिखा है. 

संयुक्त सचिव ने पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के अल्पकालिक मुख्यालय से अनुपस्थिति के दौरान, एक माह की अवधि के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अतिरिक्त प्रभार दिया जा सकता है. हालांकि इस तरह के निर्णय के लिए मुख्य सचिव स्तर से अंतिम अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य है.

पत्र में आगे कहा गया है कि यदि अतिरिक्त प्रभार एक माह से अधिक अवधि के लिए दिया जाना है, तो इसके लिए मुख्यमंत्री के स्तर से आदेश लेना जरूरी होता है.

पत्र के मुताबिक हाल ही में यह देखा गया है कि पुलिस मुख्यालय अपनी ओर से ही आईपीएस अधिकारियों को बिना किसी सक्षम प्राधिकार का आदेश लिए अतिरिक्त प्रभार और कार्य सौंप रहा है. यह नियमानुसार नहीं है. ऐसा ही एक निर्णय 10 जून को लिया गया था, जब डीजीपी कार्यालय द्वारा एक आदेश जारी कर आठ आईपीएस अधिकारियों को बिना सक्षम प्राधिकार के अनुमोदन के रिक्त पदों का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया.

गृह विभाग ने कार्मिक विभाग के 13 अगस्त 2010 के संकल्प का हवाला देते हुए 10 जून को जारी किए गए उक्त आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही डीजीपी कार्यालय से यह स्पष्टीकरण मांगा गया है कि किन परिस्थितियों में आईपीएस अधिकारियों को मुख्यालय स्तर पर बिना उचित अनुमोदन के अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया.