Akhter Ranchi: बोकारो के तत्कालीन क्षेत्रीय वन संरक्षक ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक से 94.73 एकड़ वन भूमि रैयतों से वापस लेने के मुद्दे पर दिशा निर्देश की मांग की थी. संबंधित जमीन अधिसूचित, लेकिन सीमांकन से बाहर की वन भूमि है. सरकार के स्तर से अब तक कोई दिशा निर्देश नहीं दिया गया है. तत्कालीन क्षेत्रीय वन संरक्षक वेंकटेश्वर लू ने जनवरी 2024 में प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिख कर इस मामले में राय मांगी थी. उनके पत्र के पूरा प्रकरण बोकारो जिले के थाना चास के प्लॉट नंबर 43, 44, 45, 46, 58, 144, 145, 209 और 210 में निहित भूमि को फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर द्वारा विमुक्त किये जाने से संबंधित था. पूरे प्रकरण में विचार का बिंदु यह था कि फॉरेस्ट सेटेलमेंट ऑफिसर को वन भूमि को विमुक्त करने का अधिकार है या नहीं. इस कानूनी बिंदु पर वेंकटेश्वर लू ने अपने पत्र में अधिसूचित वन भूमि के सीमांकन और निष्कासन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के अलावा विभिन्न न्यायालयों द्वारा पारित आदेश के हवाले से यह लिखा कि फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर को वन भूमि विमुक्त करने का अधिकार था. वेंकटेश्वर लू ने अपने पत्र में लिखा कि वर्तमान में भारतीय वन भूमि अधिनियम की धारा 29(3) के तहत अधिसूचित वन भूमि का लगभग 85 प्रतिशत वन भूमि आजादी के पहले प्रिंसली स्टेट, जमींदारो की निजी वन भूमि थी. आजादी के बाद बिहार प्राइवेट फॉरेस्ट एक्ट 1947 के तहत अधिसूचना जारी कर निजी वन भूमि का नियंत्रण और प्रबंधन वन विभाग को सौंपा था.
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