- सरकार की नीयत साफ नहीं, उसिर्फ वोट हासिल करने का है मकसद
New Delhi : बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर प्रश्न उठाते हुए इसे चुनाव में महिला मतदाताओं के वोट हासिल करने के लिए किया गया निर्णय करार दिया है. उन्होंने बुधवार को कहा कि यह संशोधन विधायक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया, बल्कि आने वाले लोकसभा और अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव में देश की भोलीभाली महिलाओं को प्रलोभन और उनकी आंखों में धूल झोंक कर उनका वोट हासिल करने के लिए लाया गया है. इसके सिवाय यह कुछ भी नहीं है.
सरकार इस विधेयक से दो प्रावधान को हटाये
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि महिला आरक्षण बिल तुरंत लागू नहीं होगा, इसके लिए पहले जनगणना कराई जाएगी. जनगणना पूरी होने के बाद ही लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में परिसीमन कराया जाएगा. इसके बाद महिला आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक लागू होगा. उन्होंने कहा कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि देशभर में नए सिरे से जनगणना करने में कई वर्ष लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार इस विधेयक से दो प्रावधान को हटाये. सरकार को ऐसे प्रावधान लाना चाहिए कि जल्द आरक्षण लागू हो.
बसपा ने लोकसभा में रखी तीन डिमांड
बसपा सांसद संगीता आजाद ने लोकसभा में मांग की महिलाओं को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए. महिला आरक्षण में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण मिले. जातिगत जनगणना का जल्द से जल्द पूरा किया जाए. लालगंज से बीएसपी सांसद संगीता आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से इसकी मांग कर रही थी. उन्होंने डॉ भीमराव आंबेडकर और कांशीराम का नाम लेकर कहा कि उन्हीं की बदौलत हमें लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में जाने का मौका मिला.
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