Brijendra Dubey
इनफॉर्मल सेक्टर में छोटे बिजनेस शामिल होते हैं, जो बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चलते हैं. मोहल्ले की दुकानें, कारीगर, फेरी वाले, छोटे-मोटे कारखाने… ये सब अनऑफिशियल इकोनॉमी का हिस्सा हैं. इनफॉर्मल सेक्टर रोजगार पैदा करने और कम पढ़े-लिखे लोगों को काम देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. ये व्यवसाय आमतौर पर छोटे होते हैं और पारिवारिक आधार पर चलाए जाते हैं. इनफॉर्मल सेक्टर को अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर या अनौपचारिक अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ये अनऑफिशियल इकोनॉमी भारत के आधे से ज्यादा सामान बनाने और सर्विस देने का काम करती है. साथ ही, देश में रोजगार देने वालों में से भी तीन-चौथाई से ज्यादा इसी सेक्टर से जुड़े हैं. अब परेशानी यह है कि पिछले सात सालों में इस अनऑफिशियल इकोनॉमी का काफी बुरा हाल हुआ है. कई छोटे बिजनेस बंद हो गए और करीब 16.45 करोड़ नौकरियां भी चली गईं. यह जानकारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की ओर से हाल ही में कराए गए सर्वे (2021-22 और 2022-23) के नतीजों से मिली है.
ये सर्वे अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक और अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक के समय के बीच कारोबार करने वाले बिजनेस को आधार बनाकर किया गया. अच्छी खबर यह है कि इस दौरान छोटे कारखानों (मैन्युफैक्चरिंग), दुकानों (ट्रेड) और दूसरी सेवाओं से जुड़े बिजनेस की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. पहले जहां करीब 5.97 करोड़ ऐसे बिजनेस थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 6.50 करोड़ हो गई है. गांव में यह बढ़ोतरी और भी ज्यादा रही है. कुल मिलाकर करीब 3.56 करोड़ बिजनेस तो सिर्फ गांव में ही चल रहे हैं, जबकि शहरों में यह संख्या करीब 2.94 करोड़ है. इन 6.50 करोड़ बिजनेस में से ज्यादातर ऐसे हैं, जहां मालिक खुद ही काम करता है. ऐसे बिजनेस को ओन अकाउंट एस्टेब्लिशमेंट कहते हैं. इनकी संख्या करीब 5.53 करोड़ है. वहीं बाकी करीब 97 लाख बिजनेस ऐसे हैं, जहां मालिक नौकर रखता है. इन्हें हायर्ड वर्कर एस्टेब्लिशमेंट’ कहा जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिना रजिस्ट्रेशन वाले कुल कारोबारों में से 27.41% मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े हैं. 34.71% दुकानदारी या ट्रेड करते हैं और बाकी बचे 37.88% सर्विस सेक्टर से जुड़े हैं. गांव और शहर दोनों जगह सबसे ज्यादा कारोबारी ट्रेड और कपड़े बनाने के काम से जुड़े पाए गए. शहरों में सबसे ज्यादा रिटेल दुकानदारी और व्यक्तिगत सेवाओं का कारोबार चलन में है. देशभर में करीब 94% छोटे बिजनेस सालभर में कम से कम 9 महीने तो चले ही हैं. गांव में ये आंकड़ा 93.9% है और शहरों में 94.8% है. एक दिन में घंटे की बात करें तो आधे से ज्यादा कारोबार रोजाना 8 से 11 घंटे चलते हैं. करीब 54.4% कारोबार ऐसे हैं, जो हफ्ते में 6-7 दिन, रोजाना 8 से 11 घंटे चलते हैं.
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022-23 में उत्तर प्रदेश (13.82%), पश्चिम बंगाल (12.03%) और महाराष्ट्र (9.37%) में सबसे ज्यादा अनऑफिशियल कारोबार पाए गए. ये आंकड़े ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के लिए हैं. हालांकि कुछ राज्यों में कारोबार कम भी हुए, कोरोना महामारी के बाद 2022-23 में गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में छोटे कारोबारों की संख्या कम हो गई है. वहीं, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कारोबार बढ़े. सबसे ज्यादा नौकरी देने वाले छोटे कारखाने महाराष्ट्र (13.29%) में पाए गए. खास बात ये है कि तेलंगाना (43.32%), पश्चिम बंगाल (32.74%) और कर्नाटक (31.42%) जैसे कुछ राज्यों में 30 फीसदी से ज्यादा छोटे बिजनेस महिलाएं चला रही हैं. आंध्र प्रदेश के गांव में 22.8% गैर-कृषि कारोबार ऐसे हैं जिनकी कोई पक्की दुकान नहीं है.
वहीं, तेलंगाना में तो 70.9% कारोबार सीधे घर से ही चलाए जाते हैं, यानी गांव में घर से चलने वाले कारोबार सबसे ज्यादा इसी राज्य में हैं. सरकारी रिपोर्ट बताती है कि पूरे देश में छोटे बिजनेस चलाने वाले 51.9 फीसदी लोग अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. इसके बाद अन्य वर्ग (30%), अनुसूचित जाति (13.2%) और अनुसूचित जनजाति (4.4%) समुदाय से आते हैं. करीब 41% बिजनेस तो सीधे घर से ही चलाए जाते हैं. कोई महिला घर पर ही सिलाई का काम करती है तो कोई घर से ही पूजा का सामान बेचता है. करीब 44% बिजनेस घर से बाहर किसी जगह पर चलते हैं. जहां नौकर रखने वाले बिजनेस की बात है तो उनमें से 83.7% किसी पक्की जगह पर चलते हैं. वहीं खुद काम करने वाले बिजनेस में से ज्यादातर (46%) घर से ही चलाए जाते हैं.
सर्वे कहता है कि सिर्फ करीब 6.4% छोटे बिजनेस ही ऐसे हैं जो चार्टर्ड अकाउंटेंट से अपना हिसाब किताब करवाते हैं. बाकी ज्यादातर बिजनेस कैश के आधार पर ही चलते हैं. लेकिन रजिस्ट्रेशन के मामले में थोड़ी अच्छी खबर है. 2022-23 में करीब 36.8% छोटे बिजनेस किसी न किसी सरकारी विभाग या कानून के तहत रजिस्टर्ड हो चुके हैं. ये आंकड़ा पिछले साल के सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 7% ज्यादा है. ये आंकड़ा बताता है कि लोग अपने बिजनेस को लीगल बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं. इन छोटे बिजनेसेज की वजह से रोजगार के काफी अवसर पैदा हुए हैं. अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच करीब 11 करोड़ लोगों को इन बिजनेस में रोजगार मिला है. ये पिछले साल के मुकाबले करीब 1.2 करोड़ ज्यादा है. इन 11 करोड़ में से करीब 5.72 करोड़ रोजगार शहरों में पैदा हुए हैं. वहीं गांव में करीब 5.24 करोड़ लोगों को रोजगार मिला. गौर करने वाली बात यह है कि सिर्फ रिटेल दुकानों से ही कुल नौकरियों का करीब एक तिहाई हिस्सा आता है.
इन छोटे बिजनेस की वजह से सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले राज्य हैं: उत्तर प्रदेश (14.35%), महाराष्ट्र (10.53%), पश्चिम बंगाल (9.61%). अगर दूसरों को नौकरी देने वाले कारोबार की बात करें तो रोजगार देने में सबसे आगे हैं – महाराष्ट्र (12.87%), उत्तर प्रदेश (11.20%), तमिलनाडु (10.56%). अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के दौरान इन बिजनेस में करीब 25.63% कर्मचारी महिलाएं थीं. ये आंकड़ा बताता है कि महिलाएं तेजी से बिजनेस की दुनिया में आगे बढ़ रही हैं. मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी है. गांव में इस सेक्टर में काम करने वाली कुल कर्मचारियों में से करीब 49.78% महिलाएं हैं.
शहरों में ये आंकड़ा 34.92% है. कुल मिलाकर पूरे देश में मैन्युफैक्चरिंग लाइन में करीब 43% कर्मचारी महिलाएं हैं. अगर महिलाओं को रोजगार देने वाले राज्यों की बात करें तो पश्चिम बंगाल (11.30%) सबसे आगे है. इसके बाद आता है उत्तर प्रदेश (11.17%) और तीसरे नंबर पर है महाराष्ट्र (10.37%).
साल 2022-23 में इन बिजनेस में काम करने वाले कर्मचारियों को औसतन सालाना 124,842 तनख्वाह मिली. गांव में गाड़ियों के पुर्जे बनाने वाले बिजनेस में कर्मचारियों को सबसे ज्यादा तनख्वाह मिली. वहीं शहरों में कपड़ा बनाने वाले बिजनेस में कर्मचारियों की कमाई सबसे ज्यादा रही. तेलंगाना राज्य में छोटे बिजनेस के कर्मचारियों को सबसे ज्यादा तनख्वाह मिली है. वहां सालाना औसतन 178,029 कमाई हुई. इतना ही नहीं, तेलंगाना में ही मैन्युफैक्चरिंग (कच्चा माल से चीजें बनाना) और सर्विस सेक्टर (अन्य सेवाएं) दोनों में कर्मचारियों को सबसे ज्यादा तनख्वाह मिली है.
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