अनुदान प्रक्रिया पर उठे सवाल
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भी सरकार ने इन विद्यालयों से अनुदान के लिए आवेदन मांगे थे, जिसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) ने स्थलीय जांच कर अपनी अनुशंसा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेज दी थी. बावजूद इसके, इन स्कूलों की अनुदान राशि जारी नहीं की गई. झारखंड राज्य वित्त रहित शैक्षणिक संस्थान अनुदान अधिनियम 2004 और संशोधित नियमावली 2015 के अनुसार, राज्य सरकार से स्वीकृत संस्थानों को अनुदान देने का प्रावधान है. ऐसे में, बिना स्पष्ट कारण बताए अनुदान रोक देने से सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई विद्यालयों में शासी निकाय का गठन न होने को आधार बनाकर अनुदान रोका गया है. जबकि यह जिम्मेदारी जैक (झारखंड एकेडमिक काउंसिल) की है, जो हर तीन साल पर शासी निकाय का गठन करता है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब जैक ने शासी निकाय नहीं बनाया, तो इसकी सजा स्कूलों को क्यों दी जा रही है?मंत्री के स्कूल को भी नहीं मिला अनुदान
यह बात सामने आई है कि जमेशेदपुर के स्वर्गीय निर्मल महतो उच्च विद्यालय, घोड़ाबांधा को भी अनुदान से वंचित कर दिया गया है. यह स्कूल राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से जुड़ा है. इससे इसकी चर्चा जोरों पर है कि यह निर्णय केवल प्रशासनिक गलती है या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है.मामले की पूरी जानकारी नहीं : डीईओ
इस संबंध में पूछे जाने पर रांची के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) विनय कुमार सिंह ने कहा कि उन्हें इसकी पूरी जानकारी नहीं है. हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा कि स्कूलों की नकारात्मक रिपोर्ट के कारण अनुदान रोका गया होगा. विद्यालय में कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर, जरूरी सुविधाओं की कमी या फिर जांच समिति द्वारा स्कूल को अनुदान योग्य नहीं मानना भी कारण हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर बीईईओ ने कुछ विद्यालयों की जांच की थी. यह भी पढ़ें : ओवैसी">https://lagatar.in/owaisi-warns-naidu-nitish-on-waqf-amendment-bill-muslims-will-not-forgive-them-if-they-support-it/">ओवैसीने वक्फ संशोधन विधेयक पर नायडू, नीतीश को चेताया, समर्थन किया तो मुसलमान माफ नहीं करेंगे
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