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कौन होगा झारखंड पुलिस का नया डीजीपी, सरकार अपनी नई नियमावली से करेगी नियुक्ति

Ranchi : झारखंड में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति को लेकर चल रहा संशय जल्द ही खत्म होने वाला है. सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा को सेवा विस्तार दिए जाने संबंधी कोई फाइल आगे नहीं बढ़ी है. ऐसे में उम्मीद है कि झारखंड सरकार 1 जनवरी 2026 को राज्य को नया डीजीपी देगी.

 

डीजीपी की नियुक्ति के लिए आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल अभी तक संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नहीं भेजा गया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सरकार फरवरी 2025 में बनाई गई अपनी ही डीजीपी के चयन और नियुक्ति नियमावली-2024 के तहत डीजीपी की नियुक्ति करेगी.

 

 डीजीपी बनने की रेस में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी

- अनिल पालटा (IPS 1990 बैच) : वर्तमान में रेल डीजी के पद पर पदस्थापित हैं.

- प्रशांत सिंह (IPS 1992 बैच): वर्तमान में डीजी वायरलेस के पद पर पदस्थापित हैं.

- मनविंदर सिंह भाटिया (IPS 1992 बैच) : वर्तमान में डीजी होमगार्ड एंड फायर सर्विस के पद पर पदस्थापित हैं.

 

 प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा की सेवानिवृत्ति

पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद, तदाशा मिश्रा को छह नवंबर को झारखंड का प्रभारी डीजीपी बनाया गया था. उस समय वे गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग में विशेष सचिव थीं. प्रभारी डीजीपी बनने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें डीजी रैंक में प्रोन्नत किया. तदाशा मिश्रा इस महीने 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रही हैं.

 

 कैबिनेट ने डीजीपी के चयन के लिए दी थी 'नियमावली 2024' को मंजूरी

झारखंड कैबिनेट ने झारखंड पुलिस महानिदेशक के चयन और नियुक्ति नियमावली-2024 के गठन को मंजूरी दी थी. डीजीपी के चयन के लिए छह सदस्यीय नाम निर्देशन समिति गठित की गई है. इस समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस करेंगे.

 

समिति में मुख्य सचिव, यूपीएससी द्वारा नामित सदस्य, जेपीएससी अध्यक्ष/नामित सदस्य और एक रिटायर्ड डीजीपी सदस्य होंगे. गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव भी समिति के सदस्य होंगे.

 

नाम निर्देशन समिति डीजीपी के चयन के लिए कम से कम तीन और अधिक से अधिक पांच नामों का पैनल बनाएगी. असाधारण परिस्थितियों में तीन से कम नाम भी हो सकते हैं. चयन का मुख्य आधार योग्यता और उपयुक्तता होगा. इसमें अधिकारी का सेवा इतिहास, प्रशंसा पत्र, पुरस्कार, मेडल, अन्य उपलब्धियां और पुलिस बल का नेतृत्व करने का अनुभव शामिल होगा.

 

अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही का ब्योरा भी समिति को उपलब्ध कराया जाएगा. नियुक्त डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्षों का होगा. यदि कोई अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है, तो सूची तैयार करने से पहले राज्य सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित करना होगा, अन्यथा उनके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा. 

 

पहले डीजीपी नियुक्ति के क्या थे नियम

पुरानी प्रक्रिया के तहत, झारखंड सरकार डीजीपी के चयन के लिए आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी. यूपीएससी इनमें से तीन नामों को स्वीकृत कर राज्य सरकार को वापस भेजता था और राज्य सरकार उन्हीं तीन नामों में से किसी एक को डीजीपी नियुक्त करती थी. नई नियमावली लागू होने के बाद अब यह प्रक्रिया बदल जाएगी.

 

 

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