Patna: कोरोना के बढ़ते कहर ने नीतीश सरकार की चिंता बढ़ा दी है. एक तरफ कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है और दूसरी ओर अस्पतालों के बेड कम पड़ते जा रहे हैं. हालात की गंभीरता को देखते हुए बिहार सरकार ने 17 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलायी है. बैठक का उद्देश्य सभी दलों की सहमति से आम राय बनाकर इस विकट परिस्थिति से बाहर निकलना है.
कोरोना के आंकड़े के देखें तो काफी चौंकाने वाले हैं. राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान 4157 नए कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई है. जबकि राज्य में कोविड के सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर 20148 पहुंच चुकी है. राजधानी पटना में मंगलवार को सबसे अधिक 1205 नए कोरोना संक्रमितों की पहचान की गई है.
बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के पिछले 24 घंटे में 4157 मामले सामने आए हैं. हालांकि इस दौरान 1047 लोग कोरोना से संक्रमणमुक्त भी हुए हैं. राज्य में अब तक 2 लाख 68 हजार से अधिक लोग कोविड संक्रमण से स्वस्थ हो चुके हैं. फिलहाल राज्य में रिकवरी रेट 92.50 प्रतिशत है.
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जो विकट स्थिती है उससे निकलना तभी संभव है कि जब सत्ता पक्ष और विपक्ष राजनीति से ऊपर उठकर सोचे. माना जा रहा है कि इस बैठक में कोरोना वायरस से निबटने के तरीकों पर बात की जायेगी. लेकिन जिस तरह से प्रदेश में कोरोना की स्थिति है उसमें विपक्ष हमलावर रहा है. सरकार का मानें तो पिछले साल की तरह इस बार संक्रमण को रोकने में सफल रही है. टेस्टिंग से लेकर क्वॉरंटीन करने तक और इलाज से लेकर लोगों को जागरूक करने तक में सरकार ने अच्छा काम किया है.
विपक्ष सवाल उठाता रहा है
लेकिन विपक्ष इससे अलग है. विपक्ष का मानना है कि सरकार कोरोना के मामले में विफल रही है. कोरोना के शुरुआती दौर में लोगों का सड़कों पर भटकना, अस्पताल के बाहर जांच कराने के लिए घंटों इंतजार करना, मरीजों का खुद ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर चलना. इन सारे मुद्दों को लेकर विपक्ष सवाल उठाता रहा है.