राज्य सरकार का दावा: लंबित 31 परियोजनाओं का काम किया जाएगा पूरा
Praveen Kumar Ranchi : विगत दो साल से झारखंड का अधिकांश हिस्सा सूखे की चपेट में है. राज्य के किसानों की खेती के लिए मॉनसून पर निर्भरता राज्य गठन के बाद भी बनी हुई है. यहां की अधिकांश जमीन खेती के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है, बारिश पर निर्भरता कम करने के किए झारखंड में जलाशयों का निर्माण करने की कई बार योजना बनी. लेकिन वह आज भी दो दशक बीत जाने के बाद भी धरातल पर नहीं उतरी. राज्य में डैमों का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है. आधे-अधूरे डैमों में 9 डैम ऐसे भी हैं, जिनका निर्माण कार्य शुरू झारखंड अलग राज्य बनने के पूर्व ही हुआ था. लेकिन अभी तक वो भी पूरे नहीं हो सके हैं. अब राज्य सरकार का दावा है कि उन डैमों को तीन से पांच साल में पूरा कर लिया जाएगा. वहीं जल संसाधन विभाग की तरफ से दो दर्जन से अधिक सिंचाई परियोजनाओं पर अलग से काम किया जा रहा है. उनके पूरा हो जाने से राज्य में 4 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हो जाएगा. कुल मिला कर सिंचाई की सुविधा उलपब्ध कराने के लिए राज्य में 31 परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है.जमीन अधिग्रहण पर विवाद से योजनाएं रह गईं अधूरी
राज्य सरकार ने राज्य में आधे-अधूरे डैमों को लेकर दिए गए आश्वासन में कहा है कि झारखंड में जिन परियोजनाओं का काम झारंखड अलग राज्य गठन से पूर्व से चल रहा है, उन योजनाओ में मुख्य अवरोध भू-अर्जन, वन भूमि का अधिग्रहण और विस्थापित होनो वाले परिवारों का पुनर्वास है. जल संसाधन विभाग का दावा है कि इन परियोजनाओं को अब तीन से पांच साल में हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा.ये योजनाएं कई दशकों से पूरी नहीं हुईं
योजना- कब शुरू हुई - सिंचित क्षेत्र (संभावित) सुवर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना 1978 10465 हेक्टेयर गुमानी बराज 1976 16194 हेक्टेयर कोनार सिंचाई 1975 54435 हेक्टेयर उत्तर कोयल जलाशय 1970 12470 हेक्टेयर पुनासी जलाशय 1982 22089 हेक्टेयर पंचखोरी जलाशय 1984 500 हेक्टेयर रामरेखा जलाशय 1987 4405 हेक्टेयर भैरवी जलाशय 1985 4857 हेक्टेयरक्या कहते हैं कृषि मंत्री
राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है कि लंबित सिंचाई परियोजनाओं को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है. जो भी दिक्कतें हैं, उनका निदान कर उन्हें पूरा करवाया जाएगा. राज्य में डैम और चेक डैम के बिना खेती बहुत मुश्किल हो गई है. क्योंकि दिनों-दिन राज्य में बारिश कम हो रही है. इस वर्ष भी लगातार दूसरे वर्ष अनुमान के मुताबिक झारखंड में करीब 48 प्रतिशत बारिश ही अब तक हुई है. इसकी वजह से कई जिलों में धान की रोपनी एवं अन्य फसलों की बुआई नहीं की जा सकी है. सरकार सर्वे करवा कर पता लगा रही है कि राज्य में सुखाड़ को लेकर कैसे हालात हैं. इसकी फाइनल रिपोर्ट 15 अगस्त तक मिल जाएगी. तब हम बता पाएंगे कि राज्य में सुखाड़ के कैसे हालात हैं. आपको बता दें कि पिछले साल मॉनसून की अनियमितता के कारण कम बारिश हुई, जिसकी वजह से फसलों का उत्पादन नहीं हुआ. पिछले साल राज्य सरकार ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर 24 में से 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया था. इसे भी पढ़ें : रांची">https://lagatar.in/ranchi-municipal-corporation-has-sent-notices-to-100-building-owners/">रांचीनगर निगम सख्त, 100 भवन मालिकों को भेजा नोटिस [wpse_comments_template]
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