- सुप्रियो ने राज्यपाल की कार्यशैली पर भी उठाये सवाल
- राज्य में राजनीतिक संकट के लिए बीजेपी को ठहराया दोषी
Ranchi : झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि प्रदेश के एक व्यक्ति को जांच से बचाने के लिए राज्यपाल बनाया गया है. हमलोग असंवैधानिक काम करनेवाले लोग नहीं हैं. सरकार का काम है राजभवन की सुरक्षा करना. सीबीआई से अच्छा हमारी एसआइटी है. हम उसी से पेपर लीक मामले की जांच करायेंगे. सीबीआई की विश्वनियता पर सवाल उठने लगा है.
सुप्रियो ने कहा कि हिंदी में एक कहावत है “दाढ़ी में तिनका…”, यह अभी सच की तरह लग रहा है. मीडिया से पता चला कि राज्यपाल ने कुछ मीडिया को बुलाया था. एक मीडिया हाउस से स्पष्टीकरण भी मांगा है. कई सारी बातें कहीं हैं. एक न्यूज एजेंसी से राज्यपाल ने कहा है कि हेमंत सोरेन को ईडी हिरासत में ले चुकी थी, उसके बाद हेमंत सोरेन इस्तीफा देने राजभवन आये थे. उक्त बातें राज्यपाल के बयान पर जवाब देते हुए झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कही. वे आज संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि ईडी ने हिरासत में लेने की जानकारी दी, तब सभी लोग राजभवन पहुंचे. राजभवन से दो बसों को अंदर जाने का परमिशन दिया गया.
थोड़ी ही देर में राजभवन के अंदर जाने के बाद परमिशन नहीं देने की बात कहते हुए, सबों को बाहर निकाल दिया गया. सुप्रियो ने बताया कि राज्यपाल से वर्तमान सीएम ने सरकार बनाने का दावा किया था, तब उनके दावे को अस्वीकार करते हुए, राज्यपाल अपने कक्ष की ओर चले गए थे. 15 मिनट के बाद दोबारा आए, उसके बाद दावे को स्वीकार किया. दूसरे दिन राज्यपाल के प्रधान सचिव से फोन पर बात की गई. तब भी सही जानकारी न देते हुए, सूचित करने की बात कही गई. कोई सूचित नहीं किया. इसके बाद फिर से राजभवन से समय की मांग की गई. तब गठबंधन के पांच नेताओं को मिलने की अनुमति मिली. रात 10 बजे चंपाई सोरेन को सीएम बनने की बात कही गई.
सुप्रियो ने कहा कि जब रात के 8:30 बजे इस्तीफा हुआ, अगले दिन रात तक का इंतजार क्यों किया गया. एक दिन से अधिक समय तक राज्य का कार्यपालक कौन था. मंत्रिमंडल विस्तार के समय फ्लोर टेस्ट की बात कही गई. क्या राज्यपाल को बहुमत की आशंका थी. 49 सदस्य हमारे साथ थे. 81 सदस्यीय विधानसभा में 49 विधायकों के समर्थन के बाद भी उन्हें राय लेनी पड़ी. उन्होंने मीडिया को बताया कि बिहार की परिस्थिति अलग है. क्योंकि वह ईडी की गिरफ्त में नहीं है. जो आपका संदेश नहीं मानेगा. वह ईडी की गिरफ्त में रहेंगे. बिहार में सबसे बड़े दल की जगह तीसरे नंबर के दल को बुला लिया गया. मगर झारखंड में बहुतमत वाले दल को नहीं बुलाया गया.
सुप्रियो ने कहा कि वह कौन दो विधायक थे, जो हैदराबाद नहीं जा रहे थे, राज्यपाल जानकारी दें. राज्यपाल का काम सरकार को सलाह देने का है. यहां राज्यपाल बीजेपी का काम क्यों कर रहे हैं. प्रदेश की जनता के बीच जो भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई, उसके लिए बीजेपी वाले दोषी हैं. सुप्रियो ने कहा कि पुरानी सरकार के कई विधेयक राजभवन में पड़े हुए हैं. उसे पारित करिए और राज्य के विकास में सहयोग करें.
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