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ड्रॉपआउट समस्या पर राज्यपाल गंभीर, अधिकारियों को निर्देश, पंचायत में कम दूरी पर बने उच्च विद्यालय

Ranchi  :  राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य में  शिक्षा में हो रही ड्रॉप आउट की समस्या पर गहरी चिंता जतायी है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अधिकारियों संग राजभवन में बुधवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि इसे कम करना आवश्यक है. इस बावत उन्होंने विभागीय अधिकारियों को कहा कि बच्चों के मध्य उच्च विद्यालय को सर्वसुलभ बनाया जाय. वर्तमान में बच्चों को उच्च विद्यालय में नामांकन के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है. माध्यमिक विद्यालय से उच्च विद्यालय की दूरी बहुत अधिक है. ऐसे में हर पंचायत में कम दूरी में उच्च विद्यालय स्थापित करना नितांत आवश्यक है. इस दौरान श्री बैस ने विभिन्न विद्यालयों को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया. बैठक में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव शैलेश कुमार सिंह, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा एवं विभाग के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे. इसे भी पढ़ें -जेपी">https://lagatar.in/jp-patel-appointed-bjp-state-vice-president-balmukund-general-secretary-mistry-soren-appointed-state-minister/">जेपी

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नेतरहाट आवासीय विद्यालय की स्थिति पर जतायी चिंता

विभागीय अधिकारियों से महामहिम ने कहा कि राज्य में ऐसे शिक्षण संस्थान स्थापित करने की जरूरत है, जहां बच्चों को शिक्षकों के साथ अनुकूलतम वातावरण उपलब्ध हो. उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित नेतरहाट आवासीय विद्यालय की कभी पूरे देश में विशिष्ट पहचान थी, लेकिन आज इसकी स्थिति अच्छी नहीं है. हमें समीक्षा कर उन कारणों को जानना होगा और उनका स्थाई समाधान जल्द ही करना होगा ताकि यह पहले की तरह गौरव को प्राप्त कर सकें. रमेश बैस ने कहा कि झारखंड अविभाजित बिहार का हिस्सा था , जहां नालंदा जैसे गौरवशाली विश्वविद्यालय हुआ करते थे और पूरे विश्व से लोग वहां पढ़ने के लिये आते थे. इसे भी पढ़ें -कोडरमा">https://lagatar.in/in-kandrapadih-of-koderma-the-administration-built-a-bamboo-culvert-with-the-help-of-the-villagers/">कोडरमा

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छत्तीसगढ़ की तर्ज पर प्रतियोगिता कराने का निर्देश

शिक्षण संस्थानों में सुधार की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि विद्यालयों के स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया जाय. छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा गया कि उनके सुझाव पर जब विद्यालयों के प्राचार्यों के मध्य प्रतियोगात्मक भावना विकसित की गयी, तो छत्तीसगढ़ के विद्यालयों में काफी सुधार देखा गया. इससे विद्यालयों के प्राचार्यो एवं शिक्षकों का मनोबल भी बढ़ता है, साथ ही गुणात्मक शिक्षा का विकास होता है. इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन झारखंड में भी करने की बात राज्यपाल ने की. इसे भी पढ़ें - झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-high-court-gets-four-new-judges-4-out-of-5-names-get-centres-approval/">झारखंड

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प्रखंड स्तर पर विद्यालयों के निरीक्षण का निर्देश

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि प्रखंड स्तर पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निरंतर विद्यालयों का भ्रमण व अनुश्रवण कर बच्चों को प्रेरित करना चाहिये. विद्यालयों के बोर्ड परिणाम की समीक्षा करते हुए कहा कि यदि कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की बालिका बेहतर कर रही हैं तो वहां वर्षों से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को नहीं हटाना चाहिए. इसे भी पढ़ें -एमजीएम">https://lagatar.in/dc-ended-the-nurses-strike-in-mgm-hospital-said-one-months-salary-will-come-in-the-account-tomorrow/">एमजीएम

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हर पंचायत में आदर्श विद्यालय खोलने की योजना

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि कोरोना काल का शिक्षा जगत पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. उन्होंने शिक्षकों की रिक्तियां को एक अहम समस्या बतायी. उन्होंने कहा कि हर पंचायत में आदर्श विद्यालय खोलने की योजना है. साथ ही विभिन्न विद्यालयों में दिव्यांगों की सुविधा के लिये रैम्प निर्माण करने की योजना है. [wpse_comments_template]    

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