Kiriburu : सारंडा का वनग्राम-झारबेड़ा में शनिवार को अलबिस समद की अध्यक्षता में ग्रामीणों की बैठक हुई. बैठक में अतिथि “आस” के संयोजक सुशील बारला ने कहा कि ग्राम सभा (हातु दुनूब) कमजोर होने के कारण सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन सही तरीके से नहीं हो रहा है. ग्रामीणों को सौ दिन का रोजगार भी नहीं मिल रहा है. 2006 में वनाधिकार कानून बना है. 17 साल होने वाला है, लेकिन सुनियोजित षड्यंत्र के तहत उक्त कानून का कार्यान्वयन नहीं किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें : माओवादी प्रशांत बोस व शीला मरांडी की गिरफ्तारी नक्सली संगठन में साजिश का नतीजा!
सारंडा के कई युवक-युवती नर्सिंग, आईटीआई पास होने के बाद भी सेल व अन्य प्राईवेट खदानों में नौकरी नहीं मिल रही है. पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि झारखंड राज्य तो मिला लेकिन आन्दोलनकारियों को हासिए पर छोड़ दिया गया. अलग राज्य बने 21 साल हो गए लेकिन स्थानीय नीति और रोजगार नीति नहीं बनी. कोल्हान में बेरोजगारों की कतार लंबी होती जा रही है. हमें अपने मौलिक अधिकारों को पाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा. बैठक को पौलूस हंस, मांगई पूर्ति, रोतना नाग, राजू पूर्ति ने भी सम्बोधित किया.