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कोरोनाकाल में गिरा स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स का ग्राफ, कोई चला रहा रिक्शा, तो कोई लकड़ियां चुनने को मजबूर

Virendra Rawat Ranchi: आधुनिक दौर में शिक्षा जितनी जरूरी है उतनी ही महंगी हो चुकी है. अमीरों के बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं और गरीबों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं. प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कोरोनाकाल में भी शिक्षा के करीब हैं, जबकि सरकारी स्कूल के बच्चे शिक्षा से कोसों दूर दिखाई पड़ रहे हैं. इसका मुख्य कारण गरीब बच्चों के बीच संसाधनों की कमी और 24 माह से स्कूल बंद होना है. राज्य में 24 माह से स्कूल बंद होने के कारण राजधानी में भी शिक्षा व्यवस्था की हालत खराब हो चुकी है.   [caption id="attachment_249089" align="aligncenter" width="825"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/02/3-21.jpg"

alt="" width="825" height="556" /> रांची के लोअर चुटिया इलाके में लकड़ियां ढोकर बेचने जाते स्कूली बच्चे[/caption] स्कूल जाने वाले कई बच्चे रिक्शा चला रहे हैं. इसके अलावा कई बच्चे लकड़ियां जंगलों से काटकर उसकी बिक्री करने में जुट गए हैं. कुछ बच्चे सड़कों पर हवाई लड्डू बेचते हुए अमूमन दिखाई पड़ेंगे. यह सारी चीजें एक आम आदमी को दिखाई पड़ती हैं. लेकिन राज्य सरकार की नजर इस पर नहीं पड़ती है. केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार सभी शिक्षा के सुधार को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं अक्सर करते रहते हैं. लेकिन हकीकत उन घोषणाओं से उलट है. राज्य में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे फिलहाल स्कूली शिक्षा से दूर हो चुके हैं. [caption id="attachment_249091" align="aligncenter" width="1280"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/02/2-25.jpg"

alt="" width="1280" height="576" /> आड्रे हाउस के पास हवाई लड्डू बेचता स्कूली बच्चा[/caption] सरकार ने ड्रॉपआउट कार्यक्रम के तहत हर नाबालिग को स्कूली शिक्षा से जोड़ने का कार्य किया था. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान यह सारे दावे खोखले पड़ते दिखाई पड़ रहे हैं. हालांकि राज्य में अब कोरोना का कहर काफी कम हो चुका है, बावजूद इसके राज्य सरकार अब भी नर्सरी से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं 7 जिलों में बंद रखी हुई है. जिन जिलों में नर्सरी से लेकर 12वीं तक की कक्षाएं खुल चुकी हैं. उन जिलों में भी स्कूली शिक्षा की स्थिति काफी खराब है. बता दें कि यह तीन तस्वीरें राजधानी रांची की हैं. पहली तस्वीर जिसमें एक स्कूली ड्रेस पहने बच्चा रिक्शा चला रहा है. तस्वीर रांची के चुटिया स्थित रेलवे कॉलोनी की है. दूसरी तस्वीर जिसमें स्कूली बच्चियां लकड़ी लेकर जा रही हैं, तस्वीर लोअर चुटिया केतारी बगान की है. वहीं तीसरी तस्वीर मुख्यमंत्री आवास के समीप ऑड्रे हाउस की है, जहां बच्चे हवाई लड्डू लेकर सड़कों पर हैं. इसे भी पढ़ें-पलामू">https://lagatar.in/palamu-allegation-of-forced-construction-of-bypass-road-by-construction-company-no-compensation-for-land-acquired-by-ryots-resentment/">पलामू

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24 फरवरी के बाद खुल जाएंगे राज्य के सभी स्कूल

राज्य सरकार द्वारा 24 फरवरी के बाद रांची, बोकारो, सरायकेला खरसावां, सिमडेगा, देवघर, पूर्वी सिंहभूम और चतरा जिले में नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के स्कूल खोलने की तैयारी में है. उम्मीद जताई जा रही है कि 24 फरवरी के बाद 7 जिलों में स्कूल खोली जाएगी. उसके बाद जो बच्चे फिलहाल शिक्षा से दूर हैं उन्हें दोबारा शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. यह प्रयास शिक्षा विभाग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता हैं. लगातार मीडिया ने स्कूल की जगह रिक्शा चलाने वाले, लकड़ियां ढोने वाले और हवाई लड्डू बेचने वाले बच्चों से बात की हैं. बच्चों ने कहा कि स्कूल बंद होने के कारण हम पैसे कमाने के जुगाड़ में लग गए हैं. इस दौरान कुछ बच्चों ने कहा कि हम स्कूल खुलने के बाद दोबारा स्कूल जाएंगे और कुछ बच्चों ने कहा कि अब हमें आगे की पढ़ाई नहीं करनी है.

जीरो ड्रॉपआउट अभियान विफल, कई बच्चे कोरोनाकाल में शिक्षा से हुए दूर

राज्य सरकार द्वारा स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए जीरो ड्रॉपआउट अभियान शुरू किया गया था. इस अभियान के तहत जिले से लेकर पंचायत स्तर तक एक भी बच्चा स्कूली शिक्षा से वंचित ना हो इसका पालन किया जाना था. लेकिन कोरोना काल में जीरो ड्रॉपआउट अभियान भी विफल साबित हुआ है. राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 45 लाख बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रहे हैं. फिलहाल 7 जिलों में लगभग 10 लाख से अधिक बच्चे अब भी शिक्षा से दूर हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के द्वारा राज्य के 45 लाख बच्चों को सेतु गाइड विशेष शिक्षा अभियान के द्वारा शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया गया था. इसे भी पढ़ें-धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-people-roaming-freely-without-masks-police-is-collecting-fine-from-few-people/">धनबाद

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लेकिन यह प्रयास भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. हेतु गाइड विशेष प्रशिक्षण अभियान का असर विद्यार्थियों पर नहीं पड़ रहा है. कई जगहों पर यह अभियान बंद हो चुके हैं. सिर्फ सरकार द्वारा खानापूर्ति की जा रही है. जो तस्वीरें लगातार.इन के पास हैं. इनको बदल पाना राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी.

क्या कहते हैं अधिकारी

“राज्य सरकार द्वारा जल्द 7 जिलों में स्कूल खोलने का विचार किया गया है. स्कूल खुलने के बाद युद्ध स्तर पर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. शहरी हो या ग्रामीण सभी जगहो पर बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ा जाएगा. हमें स्कूल खुलने का इंतजार है.” - किरण कुमारी पासी, निर्देशक, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद

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