Ranchi: 750 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले के मास्टर माइंड के रूप में चिह्नित शिव कुमार देवड़ा ने सिर्फ अपने लिए ही शेल कंपनियां नहीं बनायी. उसने शेल कंपनियां बनाकर दूसरे लोगों को भी बेचा. इसके बाद इन कंपनियों को खरीदने वालों को भी जीएसटी घोटाले में शामिल कर लिया. देवड़ा ने शेल कंपनियों के निदेशकों से जीएसटी के अधिकारियों के खिलाफ शिकायती पत्र लिखवाये.
ईडी की जांच में पाया गया कि शिव कुमार देवड़ा ने 25 फर्जी शेल कंपनियां बनाकर दूसरे लोगों को बेची. इन शेल कंपनियों को खरीदने वालों से उसने 8000 रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक वसूले. देवड़ा ने शेल कंपनियों को दूसरों से बेचा, उसमें एक्रम फाइनेंशियल एडवाइजर प्राइवेट लिमिटेड, चेलबी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इम्पटम विनियम प्राइवेट लिमिटेड, वेंडिरी वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड सहित अन्य कंपनियां शामिल हैं. इसके बाद इन कंपनियों को भी जीएसटी घोटाले में शामिल किया.
जांच के दौरान इस बात की भी जानकारी मिली के देवड़ा घोटाले से जुड़े सबूतों को भी मिटाने की कोशिश करता रहता था. इसी के तहत व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निर्धारित समय सीमा पर बंद किया जाता रहा, ताकि किसी तरह की जांच से बचा जा सके.
सरकारी अधिकारी रिटर्न नहीं दाखिल करने की वजह से या तो जीएसटी का रजिस्ट्रेशन स्थगित कर दें या रद्द कर दें. जांच में इस बात की भी जानकारी मिली कि गड़बड़ी की जांच करने वाले अधिकारियों के खिलाफ शिवकुमार देवड़ा ने शिकायती पत्र लिखवाये. घोटाले से जुड़ी कंपनियों के निदेशकों द्वारा देवड़ा के निर्देश पर शिकायती पत्रों में गंभीर आरोप लगाये जाते थे. इससे परेशान होकर अधिकारी जांच से दूर भागते थे.
शिवकुमार देवड़ा ने अमित गुप्ता को भी कुछ कंपनियां बेची थी. इसके बाद अमित गुप्ता ने भी फर्जी जीएसटी बिल बनाने का काम शुरू कर दिया. जांच में पाया गया कि गुप्ता ने अपनी कंपनियों से 30-40 प्रतिशत फर्जी जीएसटी बिल बनाये और दूसरों को दिया.
गुप्ता ने जमशेदपुर के व्यापारी अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया को पांच करोड़ रुपये का फर्जी जीएसटी बिल दिया. इसके अलावा रांची के व्यापारी विवेक नरसरिया को भी सात करोड़ रुपये का फर्जी जीएसटी बिल दिया.
गुप्ता ने फर्जी जीएसटी बिल के दौरान नकदी के लेनदेन के लिए अंगड़िया की मदद ली. जीएसटी घोटाले को अंजाम देने की प्रक्रिया में कमीशन के तौर पर मिली नकदी को अंगड़िया के सहारे बैंकिंग चैनलों में डलवाया और 14.35 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी.
जमशेदपुर के व्यापारी अमित अग्रवाल उर्फ भालोटिया ने भी कई शेल कंपनियां बनायी हैं. इन शेल कंपनियों के निदेशकों से 10-12 हजार रुपये महीना पर काम लिया जाता है. इन कंपनियों के सहारे फर्जी जीएसटी बिल जेनरेट किये जाते हैं. भालोटिया ने भी फर्जी बिल जेनरेट करने के दौरान कमीशन के तौर पर मिली नकद राशि को बैंकिग चैनलों में डालने के लिए हवाला कारोबारियों का सहारा लिया है.
Leave a Comment