New Delhi : तीस्ता सीतलवाड़ मामले में सोमवार को गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) ना केवल सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है, बल्कि सबूतों द्वारा समर्थित है. अब तक की गई जांच में FIR को सही ठहराने के लिए उस सामग्री को रिकॉर्ड में लाया गया है, जो स्पष्ट करती है कि आवेदक ने राजनीतिक, वित्तीय और अन्य भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर साजिश को अंजाम देकर विभिन्न आपराधिक कृत्य किए थे.
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राजनीतिक दल के एक वरिष्ठ नेता के साथ मिलकर साजिश रची
राज्य सरकार ने कहा है कि प्रासंगिक रूप से गवाहों के बयानों ने स्थापित किया कि सीतलवाड़ ने एक राजनीतिक दल के एक वरिष्ठ नेता के साथ मिलकर साजिश रची. गवाहों के बयान से स्थापित होता है कि साजिश को मौजूदा याचिकाकर्ता यानी तीस्ता ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता के इशारे पर षडयंत्र रचा था. तीस्ता ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.
सीतलवाड़ को जून में गिरफ्तार किया गया
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है. 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में ‘बेगुनाहों’ को फंसाने के लिए कथित रूप से सबूत गढ़ने के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जून में गिरफ्तार किया गया था. जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था.
राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था
इससे पहले 3 अगस्त को गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था. मामले की सुनवाई 19 सितंबर को तय की थी. इससे पूर्व 30 जुलाई को अहमदाबाद की एक सेशंस कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों को संदेश जाएगा कि एक व्यक्ति दंड से मुक्त होकर आरोप लगा सकता है और भाग सकता है. तीस्ता सीतलवाड़ और श्रीकुमार को जून में गिरफ्तार किया गया था.
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