Shakeel Akhter
Ranchi: गुमला सिविल सर्जन डॉ नवल सिंह ने मनपसंद कंपनी को टेंडर देने के लिए रेट में हेराफेरी करायी. इसके लिए सिविल सर्जन के मौखिक आदेश दिया. उनके मौखिक आदेश पर ही रेट की दोबारा गणना की गई. दूसरी बार गणना के दौरान रेट में हेराफेरी कर एल-2 हुई कंपनी को एल-1 घोषित कर दिया गया और उसे वर्क आर्डर दिया गया. सरकार द्वारा करायी गयी जांच में इन तथ्यों के पाये जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन से इस मामले में जवाब तलब किया है.
जानकारी के मुताबिक गुमला सिविल सर्जन कार्यालय ने पारा मेडिकल स्टाफ़ की सेवाएं लेने के लिए सितंबर 2024 में टेंडर प्रकाशित किया था. टेंडर का प्रकाशन राज्य सरकार द्वारा आउटसोर्सिंग के सहारे मैन पावर हासिल करने के लिए जारी आदेश के आलोक मे किया गया था. टेंडर निपटारे के बाद सरकार को इसमें गड़बड़ी की शिकायत मिली.
शिकायती पत्र में वर्णित तथ्यों को ध्यान में रखते हुए निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया गया. समिति ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंपी. जांच रिपोर्ट में आउट सोर्सिंग के सहारे पारा मेडिकल स्टाफ के लिए निकाले गये टेंडर में गड़बड़ी के लिए सिविल सर्जन सहित चार लोगों को दोषी माना गया है.
जांच समिति द्वारा दोषी पाये गए लोग
- सिविल सर्जन गुमला
- अशोक लाल, प्रधान लिपिक
- दयानंद प्रसाद, सहायक लिपिक
- प्रमोद कुमार साहू, जिला लेखा प्रबंधक
रिपोर्ट के अनुसार गुमला सिविल सर्जन द्वारा निकाले गये टेंडर में 9 कंपनियों ने हिस्सा लिया. टेक्निकल बिड की जांच के बाद इनमें से चार कंपनियों को सफल घोषित किया गया. सफल घोषित कंपनियों में बालाजी डिटेक्टिव फोर्स, शिवा प्रोटेक्शन प्राइवेट लिमिटेड, कमांडो इंडस्ट्रीयल सिक्यूरिटी फोर्स और सामंता सिक्यूरिटी इंटेलिजेंस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड का नाम शामिल है. टेक्निकल बिड में सफल हुए इन चारों कंपनियों का फ़ाइनेंशियल बिड खोला गया. इसमें सामंता सिक्यूरिटी का रेट ज्यादा था. फ़ाइनेंशियल बिड खुलने के बाद सामंता सिक्यूरिटी ने दोबारो रेट की गणना करने का अनुरोध किया. इसके बाद सिविल सर्जन के मौखिक आदेश पर दोबारा रेट की गणना की गयी. इसमें हेराफेरी की गयी. रेट में की गयी इस हेराफेरी के दौरान बालाजी, शिवा और कमांडों के रेट को सांता के बराबर कर दिया गया. यानी इन तीनों कंपनियों के रेट भी 3556.29 कर दिया गया.
टेंडर में मिला वास्तविक रेट का ब्योरा
कंपनी का नाम | रेट | स्थिति |
बालाजी डिटेक्टिव | 3556.20 | L-1 |
शिवा प्रोटेक्शन | 3556.20 | L-1 |
कमांडो इंडस्ट्रीयल | 3556.20 | L-1 |
सामंता सिक्यूरिटी | 3556.29 | L-2 |
रेट हेराफेरी करने के बाद टेंडर में सफल घोषित कंपनियों का रेट एक समान हो गया. इसके बाद सभी कंपनियों के रेट समान होने के बाद एल-वन घोषित वर्क ऑर्डर देने के फार्मूले का इस्तेमाल किया गया. किसी टेंडर में सभी कंपनियों का रेट समान होने पर एल-वन तय करने के लिए कंपनियों का कार्य अनुभव ओर टर्नओवर को आधार बनाने का नियम है.
रेट में हेराफेरी के बाद की स्थिति
कंपनी का नाम | रेट | स्थिति |
बालाजी डिटेक्टिव | 3556.29 | L-1 |
शिवा प्रोटेक्शन | 3556.29 | L-1 |
कमांडो इंडस्ट्रीयल | 3556.29 | L-1 |
सामंता सिक्यूरिटी | 3556.29 | L-1 |
मनपसंद कंपनी को टेंडर देने के लिए सभी कंपनियों का रेट समान करने के बाद सामंता को अन्य कंपनियों के मुकाबले अधिक अनुभव और टर्नओवर होने के आधार पर उसे वर्क ऑर्डर दिया गया. सिर्फ इतना ही नहीं सामंता के साथ इकरारनामा करने के लिए बिहार के ट्रेजरी से जारी किये गये नन-जूडिशियल स्टांप का इस्तेमाल किया गया.