Ranchi : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनायी जाएगी.यह पर्व 26 अगस्त को रांची में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा.विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता सह झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के महामंत्री संजय सर्राफ ने कहा कि यह पर्व भारतीय संस्कृति का अनूठा पर्व है. यह नारी शक्ति, श्रद्धा, तपस्या और प्रेम प्रतीक माना गया है.
भगवान शिव , माता पार्वती और गणेश की होगी पूजा
उन्होंने कहा कि हरतालिका तीज का व्रत विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाएं करती है. सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं. वहीं अविवाहित कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए उपवास करती हैं. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है. वे भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करेंगी. इस दिन मिट्टी या रेत से शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमाएं बनाई जायेगी.
माता पार्वती ने कठोर तपस्या से भोलेनाथ को पति के रूप में पाया था
माता पार्वती ने कठोर तप और संकल्प से भगवान शिव को पति के रूप में पाया था. तभी से यह दिन सुहागिनों और कन्याओं के लिए विशेष महत्व का माना गया है.हरतालिका तीज शब्द हरित (हरण करना) और आलिका (सखी) से मिलकर बना है.
हरतालिका तीज पर महिलाएं करेंगी 16 श्रृंगार
इस दिन महिलाएं हरे रंग की साड़ी पहनती हैं.. हाथो में चूड़ियां और मेंहदी लगायेंगी. सोलह श्रृंगार करेगी. वे शिव पार्वती की गीत प्रस्तुत गायेंगी. झूला झूलकर इस पर्व को मनाया जायेगा. रात में भक्ति भाव से शिव-पार्वती की आराधना की जाएगी. अखंड सौभाग्य औऱ सुख-शांति की कामना की जाएगी.
संजय सर्राफ ने कहा कि यह पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यह नारी के सम्मान का प्रतीक पर्व है. यह पर्व महिलाओं को आध्यात्मिक शक्ति से जोड़कर रखता है. प्रेम की पवित्रता में बने रहने के लिए शिव पार्वती की आराधना की जाती है.
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