Manish Singh
क्या गांधी ने 8 ऑस्कर अवॉर्ड जीते थे? आज एक गम्भीर फ़ैक्ट चेक की जाये. ऊपर दिख रही तस्वीर अक्सर वायरल होती रहती है. फेसबुक पर, इंस्टा पर और आपके वाट्सएप पर. जिसमें महात्मा गांधी एक सुंदर महिला के साथ नाच रहे हैं. इस आधार पर यह दावा किया जाता है कि गांधी अपने दौर के पॉपुलर डांसर और अभिनेता थे. जिन्होंने 8 ऑस्कर अवॉर्ड भी जीते थे.
हमारी फ़ैक्ट चेकिंग में दिखा कि इस तस्वीर में कोई व्यक्ति है, जिसने 1930-40 के दौर में दिखने वाले गांधी के जैसी वेशभूषा बनाई हुई है. सफेद धोती, गोल चश्मा, नंगे सिर. फर्क इतना कि उसकी पिंडलियां और कंधे पर भरपूर मांस चढ़ा हुआ है. साथ में नाचती महिला ने 2010 के दौर का बोहो-वेज शिफॉन गाउन और हाई हील्स सैंडल पहना है.
1930- 40 के भारत या इंग्लैंड में ऐसा गाउन न तो बन सकता था, न कोई महिला सार्वजनिक समारोह में पहन सकती थी. उसके बाल खुले, लंबे औऱ वेव्स में है. ये हेयरस्टाइल, मॉडर्न हेयर प्रेस की मशीन के बगैर संभव नहीं. न उस दौर में स्वीकार्य था. महिलाएं हेडगियर पहनती थी. उसकी खुली स्ट्रैपी सैंडल का चलन, 70 के दशक के बाद आया. पीछे खड़े अन्य पुरुष स्लिम-फिट टक्सीडो में हैं. उनके लैपल नुकीले हैं और बो-टाई पतली है. यह 2000 के दशक का फैशन है. 1940 के सूट चौड़े कंधों वाले, भारी ऊनी कपड़े के और डबल-ब्रेस्टेड होते थे. सिर या हाथ में हैट होता था.
कुल मिलाकर, नाचता हुआ शख्स महात्मा गांधी नहीं है. यह तस्वीर 2000 के दशक की है. गहन सर्च से तफसील यह मिली, कि पहली बार ये तस्वीर 2012 मे इंटरनेट पर अवतरित हुई. इसके पहले कभी कहीं पब्लिश नहीं हुई. विवरण बस यही मिलता है कि फोटो ऑस्ट्रेलिया में हुए, किसी फैंसीकुल मिलाकर, नाचता हुआ शख्स महात्मा गांधी नहीं है. यह तसवीर 2000 के दशक की है.
गहन सर्च से तफसील यह मिली, कि पहली बार ये तस्वीर 2012 मे इंटरनेट पर अवतरित हुई. इसके पहले कभी कहीं पब्लिश नहीं हुई. विवरण बस यही मिलता है कि फोटो ऑस्ट्रेलिया में हुए, किसी फैंसी ड्रेस, मौजमस्ती पार्टी (गाला इवेंट) का है, जहां कोई मेहमान गांधी बनकर आया था. नाचती हुई महिला कोई आम स्त्री क्वीन एलिजाबेथ, रानी विक्टोरिया या श्रीदेवी नहीं.
पर अब बड़ा सवाल यह निकल कर आता है कि अगर ये नचनिया/एक्टर, गांधी नहीं है, तो गांधी को 8 ऑस्कर कैसे मिला? हमारी फैक्ट चेक टीम ने खुलासा किया कि गांधी (जिन्हें न मालूम हो, उन्हें बता दें ) 80-90 साल पहले, भारत के एक गुमनाम नेता हुआ करते थे. उन्हें जिन्हें विदेशों में कोई भी नहीं जानता था. फिर 1983 उनके ऊपर "गांधी" नाम की एक फिल्म बनी. जो एक अंग्रेज, गोरे विदेशी-रिचर्ड एटनबरो ने पैसे कमाने के लिए बनाई थी.
एटनबरो की उस गांधी नामक "फ़िल्म" को 8 ऑस्कर मिले थे. और तब जाकर दुनिया ने जाना कि कोई गांधी भी हुआ करता था. जानते ही चटपट 108 देशों ने उनकी मूर्ति लगा ली. टाइम मैगजीन ने बैक डेट में 8 बार मुखपृष्ठ पर छापा. और नोबेल कमेटी ने 5 बार उन्हें बैक डेट से पीस प्राइज के लिए नामांकित कर दिया. मेरे खुफिया सूत्रों के अनुसार, जार्ज सोरोस का नेटवर्क इसके पीछे सक्रिय रहा है.
गांधी से ज्यादा अवॉर्ड केवल - बेनहर, टाइटेनिक, शेक्सपियर इन लव और लार्ड ऑफ द रिंग्स को ही मिले हैं. गांधी को बेस्ट पिक्चर, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्टर, बेस्ट स्क्रीनप्ले, बेस्ट सिनेमेटोग्राफी, बेस्ट फिल्म एडिटिंग, बेस्ट आर्ट डायरेक्शन और बेस्ट कॉस्ट्यूम डिज़ाइन का ऑस्कर मिला था.
आजकल मोहनदास करमचंद गांधी को ज्यादातर इसलिए ही याद किया जाता है कि गांधी फ़िल्म में बेस्ट एक्टर अवॉर्ड पाने वाले बेन किंग्सले का रोल उन्होंने असल जिंदगी में किया था. फ़ैक्ट चेक यह स्थापित करता है, कांग्रेसियों का दावा खोखला है. महात्मा गांधी ने 8 तो क्या एक भी ऑस्कर अवॉर्ड नहीं जीता था.
डिस्क्लेमरः यह टिप्पणी सही फैक्ट्स के आधार पर कटाक्ष के रुप में लिखा गया है और इसे लेखक के सोशल मीडिया एकाउंट से साभार लिया गया है.
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