Search

हजारीबाग : जेएसएलपीएस के माध्यम से 12,500 महिला किसानों को मिली आजीविका

झारखंड के 14 जिलों और 28 प्रखंडों में लगभग 500 उत्पादक समूहों की हुई स्थापना Hazaribagh: महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना (एमकेएसपी) ने झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के तत्वावधान में 12,500 महिला किसानों को आजीविका मिली. उसके बाद झारखंड के 14 जिलों और 28 प्रखंडों में लगभग 500 उत्पादक समूह की स्थापना की गई. यह खेती के क्षेत्र से लेकर गैर-लकड़ी वन उपज और पशुधन के क्षेत्र में भी अवसर पैदा करके ग्रामीण आजीविका के हिस्से में हस्तक्षेप करता है. इस मामले में "औषधीय और सुगंधित पौधे" नामक एक विशेष परियोजना झारखंड के 10 प्रखंडों और पांच जिलों में कार्यान्वित हो रही है. कहानी हजारीबाग जिले के दारू ब्लॉक में इरगा महिला उत्पादक समूह नामक निर्माता समूह के गठन से शुरू होती है. एक समूह जो तीन सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों की मदद से सितंबर 2018 में अस्तित्व में आया. उत्पादक समूह की अवधारणा एक साथ आना और किसी भी फसल की खेती करने से लेकर उसे बाजार में बेचने तक पूर्ण राजस्व सृजन गतिविधियां प्रदान करना है. इसे भी पढ़ें :आईपीआरडी">https://lagatar.in/iprd-denied-the-news/">आईपीआरडी

ने किया खबर का खंडन

इरगा महिला उत्पादक समूह की सफलता की कहानी

इरगा महिला उत्पादक समूह की दीदियों ने अपनी भूमि को मिलाकर 50 एकड़ जमीन पर खेती की. इसका सुखद फलाफल यह रहा कि उपज औसत से बेहतर रही, जिससे उत्पादक समूह को भारी मुनाफा हुआ. यह संभवन हो पाया सीएसआईआर (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स), एनआरएलएम और महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के कर्मचारियों के सामूहिक प्रयास की बदौलत. महिलाओं ने सुगंधित पौधे लेमन ग्रास की खेती कर गरीबी के खिलाफ लड़ाई में एक उदाहरण बनाया. लेमन ग्रास जिसका औषधीय और बाजार मूल्य भी बहुत अधिक है. मूल्य संवर्धन के बाद इसकी कीमत 1000 से 1600 रुपए प्रति किलो है. लेमन ग्रास जड़ी-बूटियों का एक हिस्सा है, जिसकी खेती आमतौर पर ऊपरी इलाकों और आमतौर पर अप्रयुक्त भूमि में की जाती है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/yyyy-7-1.jpg"

alt="" width="600" height="340" />

कंपनी बनने के बाद महिला किसानों को मिल गई और राहत

किसानों को तब राहत मिली जब उनकी अपनी कंपनी "वनोपैग फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी" बन गई. एफपीसी के गठन के बाद विभिन्न प्रसंस्करण इकाइयां और मूल्यवर्धन किया गया. आसवन इकाई स्थापित की गई. पत्तियों को सुखाने के लिए सौर ड्रायर स्थापित किया गया. एफपीसी ने बाजार में 50 ग्राम के पैकेट में सूखे पत्ते बेचने, बोतलबंद लेमन ग्रास और तुलसी, पाल्मा रोजा जैसे अन्य आवश्यक तेल और उच्च कीमतों पर बेचने जैसे मूल्य संवर्धन शुरू किया और अन्य जिलों में स्लिप्स (लेमनग्रास के बीज) बेचने का व्यवसाय भी शुरू किया. आज राज्यभर में एफपीसी के 2500 सदस्य हैं, जाहिर तौर पर एफपीसी इस वर्ष जो लेनदेन कर रही है उसका लाभ सभी शेयर धारकों को मिलेगा.

सरस मेला में नवाजा गया समूह

भोपाल के सरस मेला में वर्ष 2019 में महिला समूह को पुरस्कार मिला. मेले में एरोमेटिक एंड मेडिसिनल प्लांट को खूब वाहवाही मिली.

जेएसएलपीएस ने बदली डाड़ीघाघर की महिलाओं की तस्वीर

https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/yyyy-4-1.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> पहले थी फांकाकशी की हालत, अब बांस से सामग्री बना जी रहीं खुशहाल जिंदगी हर दिन औसतन 300 रुपये की हो रही कमाई, संजोने लगी हैं सुनहरे भविष्य के सपने Hazaribagh:  झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) से जुड़ने के बाद इचाक के उस डाड़ीघाघर की महिलाओं की तस्वीर बदल गई है, जहां आवागमन के साधन अब तक बहाल नहीं हो पाए हैं. रोजगार के अभाव में महिलाओं की फांकाकशी की हालत थी. लेकिन अब महिलाएं बांस से सामग्री बनाकर उसे बेहतर दामों में बेच खुशहाल जिंदगी जी रही हैं. दरअसल हजारीबाग के इचाक प्रखंड स्थित सुदूर डाड़ीघाघर गांव में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है. यहां की 90 फीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर करती है. यहां रहनेवाले 10 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति के हैं, जो भूमिहीन हैं. उनके लिए रोजगार के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे. वे लोग सिर्फ मजदूरी पर निर्भर थे. इस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. फिर जेएसएलपीएस के सहयोग से महिलाओं ने अंजली सखी मंडल का गठन किया. उसके बाद महिला समूह की दीदीयों को बांस से सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. इसे भी पढ़ें :140">https://lagatar.in/140-crore-honorarium-scam-cbi-seals-former-directors-flat-in-dhanbad/">140

करोड़ का मानदेय घोटाला : सीबीआई ने धनबाद में पूर्व निदेशक का फ्लैट किया सील
https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/yyy-3-1.jpg"

alt="" width="600" height="340" />

12 महिलाओं का समूह जुड़ा हुआ

वर्तमान में इस समूह से 12 महिलाओं का समूह जुड़ा हुआ है. अपना अनुभव साझा करते हुए महिला समूह से जुड़ी गीता देवी, मोहनी देवी, अनिता देवी, करती देवी, बसंती देवी, पूनम देवी और नूरजहां खातून ने बताया कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. गांव में रोजगार नाम की कोई चीज नहीं थी. पुरुष मजदूरी कर जो कमाते थे, वह पैसे नशाखोरी में गंवा देते थे. महिलाओं को काम नहीं मिलता था. अगर मिलता भी था, तो पुरुष की अपेक्षा काफी कम पैसे मिलते थे. अब जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध हो गए हैं. सोसाइटी से ऋण उपलब्ध होने के बाद वे लोग बांस से टोकरी, सूप, झाड़ू, पंखा आदि बनाकर गांव से लेकर शहर तक में बेच रही हैं. उन्हें अच्छा बाजार उपलब्ध हो गया है. पर्व-त्योहारों में उनकी बनाई सामग्रियों की खूब डिमांड है. हर रोज औसतन 300 रुपए कमा रही हैं. दिन-ब-दिन रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं. इससे सुनहरे भविष्य के सपने संजो रही हैं. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/yyy-2-1.jpg"

alt="" width="600" height="400" />

जीवन में बदलाव की कहानी, प्रियंका की जुबानी

चूरचू : हजारीबाग के चुरचू स्थित फुसरी पंचायत की बहेतरा निवासी प्रियंका टुडू की किस्मत भी जेएसएलपीएस ने ही बदली. वह कहती हैं कि उनके पति शंकर सोरेन दिहाड़ी मजदूर थे. एक व्यक्ति की कमाई से घर नहीं चल रहा था. फिर प्रियंका को जेएसएलपीएस के बारे में पता चला, तो उससे जुड़कर महिला समूह तारा महिला विकास संघ बना ली. समूह में जुड़ने के बाद उन्होंने छोटी-छोटी बचत करना सीखा और समूह से जुड़ी दीदीयों को भी सिखाया. फिर 4000 रुपए ऋण लेकर सिलाई का कार्य प्रारंभ किया. उसके बाद सीआईएफ से 20 हजार रुपए ऋण लेकर मनिहारी का सामान लाया. उसके बाद सिलाई और मनिहारी की दुकान चलाने लगीं. इससे उनकी आमदनी में वृद्धि हुई और महीने में 10 से 15 हजार रुपए की आय होने लगी. प्रियंका का एक बेटा तीसरी कक्षा में बढ़ता है. अब उनके परिवार की आर्थिक परेशानी दूर हो गई.

पहले खुद की बदली जिंदगी, फिर 30 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा

https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/yyy-8.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> जेएसएलपीएस के सहयोग से आज चार एकड़ जमीन में फसल उगा रहीं दीपिका आय के मिल गए बेहतर साधन, अच्छे ढंग से होने लगा जीविकोपार्जन बड़कागांव : हजारीबाग स्थित बड़कागांव के आंगो की उरेज निवासी दीपिका देवी ने पहले खुद की जिंदगी बदली और फिर 30 महिलाओं को रोजगार से जोड़ दिया. वह कहती हैं कि यह सब संभव हो पाया जेएसएलपीएस के सहयोग से. आज दीपिका ने उन महिलाओं के साथ मिलकर चार एकड़ बंजर भूमि को सोना बना दिया. उसमें वह कई तरह की सब्जियां और फसलें उगाकर बेहतर ढंग से जीविकोपार्जन कर रही हैं. उनके परिवार के चारों सदस्य खुशहाल हैं. साथ ही वे महिलाएं भी सुखी जीवन व्यतीत कर रही हैं, जो दीपिका की बनाई पहाड़ी आजीविका सखी मंडल से जुड़ी हुई हैं. इंटरमीडिएट पास दीपिका का उरेज गांव चारों ओर पहाड़ियों और जंगलों से घिरा है. रोजी-रोजगार के कुछ भी साधन नहीं थे. 22 जून 2020 को वह जेएसएलपीएस के सहयोग से पहाड़ी आजीविका सखी मंडल का गठन किया और उससे जुड़कर चार एकड़ भूमि पर खेती शुरू कीं. फिर उन्होंने जेएसएलपीएस की मदद से 60 हजार रुपए का ऋण लिया और खेती शुरू की. आज सालाना आया चार लाख रुपए है. उस 1.2 एकड़ जमीन में करेला, एक एकड़ में बैंगन, एक एकड़ में टमाटर और एक एकड़ जमीन में गोभी की खेती कर बाजार में बेच रही हैं. 30 महिलाओं के समूह ने इस बंजर जमीन को अपनी मेहनत से सोना कर दिया. दीपिका कहती हैं कि उनलोगों को और बेहतर बाजार उपलब्ध हो जाए, इसके लिए जेएसएलपीएस कोशिश में लगा हुआ है. इससे उनके कारोबार में बढ़ोतरी होगी और अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया हो पाएगा. इसे भी पढ़ें :बिहार">https://lagatar.in/transfer-of-many-officials-including-bdo-cdpo-on-a-large-scale-in-bihar-see-full-list-here/">बिहार

में बड़े पैमाने पर बीडीओ-सीडीपीओ समेत कई पदाधिकारियों का तबादला, यहां देखें पूरी लिस्ट

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना से जुड़कर आरती को मिल गया रोजगार

  पति के साथ दो बच्चों के लालन-पालन का था कंधे पर बड़ा भार Hazaribagh: हजारीबाग की आरती कुमारी आज पंजाब के गुरुदेव हॉस्पिटल नुपुर बेदी में नौकरी कर रही हैं. वह मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट को धन्यवाद देती हैं कि इसी संस्था की बदौलत आज उनका परिवार चल रहा है. अस्पताल में वह जेनरल ड्यूटी असिस्टेंट के पद पर हैं और वह 16 हजार रुपए मासिक तनख्वाह पा रही हैं. मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट ने दीदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना के तहत उन्हें नौकरी दिलाकर उनकी सारी आर्थिक समस्याएं दूर कर दीं. पित के अलावा दो छोटे बच्चों के लालन-पालन की उनकी जिम्मेवारी थी. वह बीपीएल परिवार से आती थीं. पैसे की काफी कमी थी. ऐसे में जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद उन्हें जीने और कुछ कर गुजरने की नई राह मिल गई. कल तक दाने-दाने को मोहताज आरती आज आर्थिक रूप से सुदृढ़ और अपने पैरों पर खड़ी हैं. दोनों बच्चों का लालन-पालन भी पूरी जिम्मेवारी से कर रही हैं.

विष्णुगढ़ की ममता को मिली मैक्स हॉस्पिटल में नौकरी

https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/yyyy-8-2.jpg"

alt="" width="600" height="700" /> मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट से जुड़ने के बाद बदल गई जिंदगी, जेएसएलपीएस की रही अहम भूमिका विष्णुगढ़ : विष्णुगढ़ की जोबार निवासी ममता कुमारी आज मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम में नौकरी कर रही है. कला संकाय से 12वीं पास ममता कल तक रोजगार पाने के लिए परेशान थी. फिर जेएसएलपीएस के माध्यम से मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट से जुड़ने का मौका मिला. ट्रस्ट के जरिए उसे मैक्स हॉस्पिटल से बुलावा आया. उसके बाद ममता की जिंदगी खिल उठी. उसे मैक्स हॉस्पिटल से परिवार में कोई कमानेवाला नहीं था. आर्थिक अभाव में पूरा परिवार परेशान रहता था. फिर ममता कुमारी ने परिवार की गाड़ी खींचने का बीड़ा उठाया. उसी दौरान कोविड महामारी का दौर आया और ममता को मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम में मरीजों की सेवा का मौका मिला. बदले में उसे 9000 रुपए मासिक सैलेरी पर रखा गया. महज तीन साल में उसका वेतन दोगुना हो गया. आज पूरा परिवार समृद्ध और खुश है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/yyy-5-1.jpg"

alt="" width="600" height="360" />

स्वरोजगार से महिलाओं में हो रहा अभूतपूर्व परिवर्तन : डीसी

महिलाओं के उत्थान के लिए जेएसएलपीएस काम कर रही है. परिणामस्वरूप महिलाओं में अभूतपूर्व परिवर्तन आ रहा है और वह स्वावलंबी हो रही हैं. जो महिलाएं घर की देहरी नहीं लांघ रही थीं, अब वह विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार के माध्यम से खुद सशक्त बन रही हैं और देश की प्रगति में अपना अहम योगदान दे रही हैं. भविष्य में भी अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेएसएलपीएस दृढ़ संकल्पित है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/mmmm-21.jpg"

alt="" width="600" height="400" />

महिलाओं में बह रही बदलाव की बयार : शांति मार्डी

जेएसएलपीएस की जिला संयोजक शांति मार्डी कहती हैं कि आज के परिप्रेक्ष्य में सैकड़ों महिलाएं जुटकर आत्मनिर्भर हो रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी बदलाव की बयार बह रही है. महिलाएं समूह बनाकर बेहतर काम कर रही हैं. इसका परिणाम है कि झारखंड की महिलाएं इन दिनों अपने रोजगार से लाखों रुपए का व्यवसाय कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp