Bismay Alankar
Hazaribagh : हजारीबाग की जनता त्राहिमाम कर रही है. हजारीबाग में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवा इतनी लचर है कि कोरोना की दूसरी लहर में लोग हताश हो चुके हैं. प्रशासनिक स्तर पर लगभग फेल हो चुके प्रबंधन के कारण मरम्मत के अभाव में 30 से अधिक वेंटिलेटर बेकार पड़े हुए हैं.
जिला प्रशासन ने सब को अंधेरे में ही रखा
अस्पताल और जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले पर सब को अंधेरे में ही रखा था. अब हकीकत बाहर आयी है कोरोना की दूसरी लहर आ गयी, लेकिन प्रशासन 30 से अधिक खराब इन वेंटिलेटरों को अब तक ठीक नहीं करा पाया, जबकि इनकी खरीद पिछले साल ही हुई थी.
एनआरएचएम से 26 वेंटिलेटर खरीदे गये थे
हजारीबाग के मेडिकल कॉलेज अस्पताल की भ्रष्ट व्यवस्था की बानगी देखिए. एनटीपीसी ने 12 अप्रैल 2020 को आठ वेंटीलेटर और फिर 21 अप्रैल 2020 को चार वेंटिलेटर दिये थे. वहीं एनआरएचएम से 26 वेंटिलेटर तत्कालीन सिविल सर्जन कृष्ण कुमार के समय खरीदे गये थे. इस तरह 38 वेंटिलेटर थे. लेकिन अभी मुश्किल से तीन या चार वेंटिलेटर ही काम कर रहे हैं, बाकी सभी में तकनीकी गड़बड़ियां हैं. कुछ तो खरीद के बाद से कभी चालू ही नहीं हो सके हैं.
अब यह जांच का विषय है कि इनकी खरीद में क्या गड़बड़ी हुई और जिस कंपनी ने इसे बेचा, उससे साल भर का भी मेंटेनेंस का काम क्यों नहीं लिया गया. बिना चालू करवाये क्यों उन्हें भुगतान किया गया. और क्या वजह थी कि इस पूरे मामले पर जिला प्रशासन से लेकर अस्पताल प्रबंधन चुप रहा.
हजारीबाग में वेंटिलेटर के लिए मरीज परेशान होने लगे
कोरोना की इस दूसरी लहर में जब हजारीबाग में वेंटिलेटर के लिए मरीज परेशान होने लगे, तो पिछले 15 दिनों से खराब पड़े वेंटिलेटर ठीक कराने का गुपचुप प्रयास प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन के द्वारा होता रहा. लेकिन कभी तकनीशियन का रोना तो कभी पाइपलाइन का तो कभी ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी का रोना रोते हुए प्रशासन इसे ठीक कराने में विफल रहा. आरोप है कि इस पूरे मामले को जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन के द्वारा छुपाया जाता रहा. बाहर यह बताया जाता रहा कि वेंटिलेटर्स की कमी नहीं है और 30 से अधिक वेंटिलेटर हैं लेकिन कभी यह नहीं कहा गया कि इनमें से अधिकांश या तो खराब है या कभी शुरू हो ही नहीं सके.
खराब वेंटिलेटर की मरम्मत के लिए तकनीशियन बुलाये गये हैं
अभी अस्पताल में आठ बैकपैप हैं वही चालू हालत में है और मरीजों के काम आ रहे हैं बाकी वेंटिलेटर केवल शोभा की वस्तु बनाकर बेड की बगल में लगा दिये गये हैं . बता दें कि उपायुक्त ने बेड अलॉटमेंट के लिए बरही के एसडीओ ताराचंद को नोडल अधिकारी बनाया हैं उन्होंने बताया कि खराब वेंटिलेटर की मरम्मत के लिए तकनीशियन बुलाये गये हैं और जल्द इनके ठीक होने की संभावना है. हालांकि सभी का ठीक होना मुश्किल है .
सूत्र बताते हैं कि कमीशन के चक्कर में हाई फ्लो ऑक्सीजन वाले वेंटिलेटर की खरीद कर ली गयी है. जिसमें भारी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है और ऑक्सीजन की उतनी व्यवस्था मेडिकल कॉलेज अस्पताल में है ही नहीं ऐसे में अगर ये चालू भी हो गये तो उन्हें जितना ऑक्सीजन एक दिन में चाहिए वो अभी के समय में संभव नहीं है.
बिल्कुल यह सरकार की विफलता है। खराब मशीनों को भी ठीक नहीं करवा सकती सरकार। ये बहुत बड़ी विफलता है।
हज़ारीबाग के विधायक और सांसद साथ ही राज्य के cm और स्वस्थ्य मंत्री को जवाब देना होगा।
sarkar to so rahi hai. adhikari masti me hain. chunav ka time hai nahin ki janpratinidhi apko field me dikhenge.
विधायक, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन पूरी तरह से जिम्मेवार हैं।
Puri tarh se Parsasan ki
Shame on administration in current situation, action must be taken immediately to get it all functional.
कोशिश करना है कि इसकी जरूरत न पड़े ।
और चुनाव के समय सिर्फ वोट देने वाली ड्यूटी नही करनी है समझनी है और समझाना भी है ।
This is not acceptable at all. Needs immediate attention. MLA, MP, Health Minister, please look into the matter ASAP.
Pidito ko suvidha milni chahiye…
Swasthya suvidha janta ka Maulik adhikar hai..
Swasthya suvidha uplabdh kararna Sarkaar ka naitik kartavya hai…
Iss sthiti k liye jo bhi jimmedar ho..chahe wo Mantri ho ya Santri …. Unko sajaa milni chahiye….
MLA, MP, health minister, CM sub so rehe… State govt central govt ko blame kerenge or central state ko… Baki janta in dono ke bich mer rehi
मै इस मामले को मई 2020 से लगातार उठा रहा हूँ पर कोई सुनने वाला नहीं. वर्तमान व्यवस्था के लिए सुप्रीटेंडेंट, सिविल सर्जन, अस्पताल मैनेजर, अस्पताल प्रबंधन समिति. इसके लिए जिम्मेवार, राज्य सरकर और प्रभार मंत्री की भी जिम्मेदारी बनती है. कोरोना के प्रथम चरण में राज्य सरकार इस अस्पताल को लगभग 1 करोड 25 लाख रुपया दिया था. उससे टेक्निशियन रखा जा सकता था. पर सब लचर.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है जो इसका रखरखाव ठीक तरीके से नहीं कर सका।
सुनने में आ रहा है कि रामगढ़ में चार वेंटिलेटर रखे हैं, जिन्हें आज तक इन्स्टॉल. नहीं किया जा सका है
ये हेमंत सरकार की नही उस सरकारी तंत्र कि विफलता है जिसमे मानवीय संवेदना का घोर अभाव है।
Hamari sarkar puri tarah jimewar hai 38 me 35 kharab majak ho raha hamari life se
Ye savi Apne me hai sale janta ko chutia samjhte hai