Gaurav Prakash
Hazaribag : विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल विश्वविद्यालय ने पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (पीजीडीएमएलएड) का कोर्स कराया, लेकिन छात्रों को सर्टिफिकेट नहीं दिया गया. चूंकि झारखंड राज्य पारा मेडिकल परिषद से पोस्ट प्रारंभ करने के लिए एनओसी प्राप्त नहीं हुआ था. ऐसे में छात्र अब ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. दो साल की यह पढ़ाई सेल्फ फाइनेंस थी, अर्थात छात्रों को पूरा पैसा देना होता है. लगभग ₹50,000 फीस विश्वविद्यालय ने वसूला और परीक्षा भी आयोजित कर दी.
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विश्वविद्यालय ने नहीं दी उपाधि, आक्रोश
परीक्षा पास होने के बाद विश्वविद्यालय ने अब तक विद्यार्थियों को उपाधि नहीं दी है. ऐसे कुल 60 विद्यार्थी हैं. वर्ष 2018 में कोर्स की शुरुआत की गई. कोर्स दो साल चलाने के बाद बंद कर दिया गया. उपाधि नहीं मिलने के बाद छात्रों मे आक्रोश है. छात्र कभी डायरेक्टर, तो कभी कुलपति के पास जाकर सर्टिफिकेट के लिए गुहार लगा रहे हैं. छात्रों का कहना है कि अगर सर्टिफिकेट मिल जाता, तो कहीं न कहीं रोजगार के लिए प्रयास भी करते. लेकिन अब समझ में आ रहा है कि विश्वविद्यालय ने उनलोगों को ठगा है.
क्या कहते हैं कुलपति ?
पूरे प्रकरण पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मुकुल नारायण देव का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है. उनके पदभार लेने के पहले का यह मामला है. अब विद्यार्थियों को कैसे उपाधि दी जाए, इसे लेकर हम विचार कर रहे हैं.
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