Hazaribagh : अनुबंध कर्मियों पर हज़ारीबाग़ का पेयजल प्रमंडल विभाग इस कदर मेहरबान है कि जांच रिपोर्ट में इन पर करवाई करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. आखिर ऐसा क्या है. निदेशालय के आदेश के बावजूद समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अभी तक अनुबंध कर्मी राजेश कुमार और उमेश कुमार पर अभी तक एफआईआर नहीं की गई है.
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ना जवाब दिया और ना ही कार्रवाई हुई
स्वच्छ भारत मिशन में वित्तीय अनियमितता को लेकर निदेशालय ने जांच रिपोर्ट 24 नवंबर 2021 को ही हज़ारीबाग़ के पेयजल विभाग के पास भेज दी गई थी. उसके बावजूद इस रिपोर्ट को दबाए रखा गया.रिपोर्ट में 8 दिसंबर 2021 तक संबंधित आरोपियों को जवाब दे देने को कहा गया था. इस समय तक जवाब ना मिलने की स्थिति में उनपर स्वतः कार्रवाई करने का स्पष्ट आदेश है. इतने स्पष्ट आदेश के बाद भी हज़ारीबाग़ आरोपी अनुबंधकर्मी को बचाने में लगा रहा और रिपोर्ट को दबाये रखा.
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जानबूझ के आरोपियों को दिया गया वक्त
जब यह रिपोर्ट मीडिया में आयी तो विभाग थोड़ा हलचल में आया लेकिन रिपोर्ट में अनुबंध कर्मियों को हटाकर उनसे जवाब ना मिलने के स्थिति में एफआईआर करने की बात कही गई थी. उसका पालन नहीं किया गया. दोनों अनुबंध कर्मी लगातार कार्यालय में कार्य करते रहे ऐसे में कई कागजातों में छेड़छाड़ इन दोनों के द्वारा करना कोई बड़ी बात नहीं रही होगी. कहीं ऐसा तो नहीं है कि कागजातों को सही करने के लिए ही इन दोनों को इतना वक्त दिया गया है .
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अधीक्षण अभियंता के हैं दुलरुआ, आउटहाउस में दिया रहने को घर
कंप्यूटर ऑपरेटर राजेश कुमार वैसे ही पदाधिकारियों के चहेते रहे हैं पेयजल विभाग के अधीक्षण अभियंता इन्हें अपने आउटहाउस में जो कि उनके आवास के कैंपस में ही है रहने के लिए दिया हुआ है. यहीं रहकर राजेश कुमार हजारीबाग पेयजल विभाग और हजारीबाग पेयजल अंचल के टेंडर को मैनेज करने का काम करते थे. अगर इनके कंप्यूटर और बैंक अकाउंट को खंगाला जाये, तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आएंगे. इस कंप्यूटर के जांच से पिछले कुछ साल में पेयजल विभाग में हुए टेंडर की गड़बड़ियों का पता लगाया जा सकता है.
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शहर के ठेकेदार मैनेज करने का कर रहे प्रयास
माना जा रहा है कि कंप्यूटर ऑपरेटर राजेश कुमार टेंडर मैनेज करने का मास्टरमाइंड है. राजेश कुमार को बचाने के लिए ज़िले के तीन चार बड़े ठीकेदार जो पेयजल विभाग के ठेकेदार है रांची तक मैनेज करने में लगे हुए हैं. राजेश आसपास के तीन चार जिलों के टेंडर मैनेज करने में अहम भूमिका निभाते थे. ऑफिस और घर के दोनों कंप्यूटर की जांच करने से सभी मामलों के भेद खुल सकते हैं. यही भेद खुल जाने के डर से अनुबंध कर्मियों को बचाने का सिलसिला जारी है.
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