- जांच में खुलासा : फर्जी किसान खड़ा कर की जा रही पैसे की अवैध निकासी
- इचाक थाने में 11 किसानों पर प्राथमिकी दर्ज
- राज्य सरकार ने दिये जांच के आदेश, डीसी ने गठित की टीम
Gaurav Prakash
Hazaribagh : झारखंड के दूरदराज के जिलों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रधानमंत्री टपक सिंचाई की आपूर्ति और भौतिक परीक्षण के नाम पर बड़े स्तर पर गड़बड़ी उजागर हुई है. किसानों से झूठ कहकर उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है और सीधे सादे किसानों के नाम पर सब्सिडी की राशि निकाल ली गई है. हजारीबाग के चौपारण, इचाक और चूरचू प्रखंड में ऐसा मामला जांच में सामने आया है. यहां किसानों की सब्सिडी में आए पैसे को निकाल लिया गया. इचाक प्रखंड में 15 एकड़ जमीन में टपक सिंचाई के तहत काम करना था. महज 13 एकड़ में उपकरण लगाया गया और कंपनी ने 23 एकड़ जमीन में उपकरण लगाने के नाम पर बैंक से पैसे निकाल लिए.
जिस एजेंसी को स्कीम की जांच की दी गई जिम्मेदारी उसी ने दे दी गलत रिपोर्ट
हजारीबाग जिले में टपक सिंचाई योजना में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है. जिस एजेंसी को स्कीम की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी, उसी ने गलत रिपोर्ट दी है. इसकी जांच कराई गई तो पता चला कि फर्जी कागजात पर ही फर्जी किसानों को लाभ दिया गया. ऐसे किसानों के नाम पर भी स्कीम का लाभ दे दिया गया, जिनका कहीं अता-पता नहीं है. मामला प्रकाश में आने के बाद कृषि निदेशक चंदन कुमार ने स्कीम का थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन के लिए एजेंसी नैबकौन के फील्ड मॉनिटर पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था. उन्होंने आपूर्तिकर्ता कंपनी, लोकल डिस्ट्रीब्यूटर और वेंडर पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश हजारीबाग के जिला कृषि पदाधिकारी को दिया है. उन्होंने लिखा था कि स्कीम की थर्ड पार्टी जांच की जिम्मेदारी नाबकौन की है. नाबार्ड को बरही, इचाक, चौपारण और केरेडारी में योजना में हो रही गड़बड़ी की जानकारी दी गई थी. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. योजना के अनुसार सत्यापन में घोर लापरवाही बरती गई है. इस क्रम में आपूर्तिकर्ता कंपनी और स्थानीय वितरक की ओर से भी गड़बड़ी की गई है.
गड़बड़ी की कहानी, भुक्तभोगी की जुबानी
इचाक के किसान मनोज कुमार ने बताया कि केदरातू में 15 एकड़ जमीन लीज पर ली है. यहां 15 एकड़ जमीन पर ड्रिप इरिगेशन के तहत उपकरण लगाना था. लेकिन बालसन कंपनी ने महज 13 एकड़ में मशीन लगाई. पता चल रहा है कि 23 एकड़ जमीन पर मशीन लगाने के पैसे निकाल लिए. पैसे की निकासी आधार कार्ड और रसीद के जरिए किया गया.
वहीं एक अन्य किसान को सिंचाई की सुविधा मिली है, वह उनका खेत है ही नहीं. किसान ने बताया कि जिस खेत पर टपक सिंचाई मशीन लगी है, वह किसी और का खेत है. आधार कार्ड दिखाकर पैसे की निकासी कर ली गई है. उन्हें टपक सिंचाई की सुविधा नहीं मिली है.
इसमें एक हेक्टेयर पर औसतन 60 से ₹70 हजार रुपए का खर्च आता है. इसमें किसान का अनुदान मात्र 10 फीसदी का ही होता है. 90 फीसदी राशि राज्य और केंद्र सरकार मिला कर देती है.
कृषि सचिव ने लिया संज्ञान, कमेटी से मांगी रिपोर्ट
कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने मामले में संज्ञान लेते हुए हजारीबाग के अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है. कमेटी में संयुक्त कृषि निदेशक सत्येंद्र प्रसाद, जिला उद्यान पदाधिकारी अरुण कुमार और सहायक निदेशक गन्ना को सदस्य रखा गया है. कमेटी को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है. सचिव ने लिखा है कि ऐसी जानकारी मिली है कि सिंचाई योजना में व्यापक अनियमितता बरती गई है.
कृषि विभाग की टीम इचाक में कर रही जांच
![अपर समाहर्ता राकेश रौशन](https://i0.wp.com/lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/2-24.jpg?resize=150%2C150&ssl=1)
इस मामले में हजारीबाग के अपर समाहर्ता राकेश रौशन ने बताया कि कृषि विभाग की टीम इचाक प्रखंड में जांच करने गई थी. वहां अभी जांच चल रही है. इसमें कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. चूंकि राज्य सरकार की बनाई गई टीम की जांच प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया गया है. किस कारण क्या कुछ गड़बड़ियां हुई हैं, वह सामने नहीं आ सका है. किसी भी तरह की गड़बड़ी सामने आएगी तो टीम राज्य सरकार को पत्राचार कर जानकारी देगी. हालांकि इसी तरह के एक अन्य मामले में जिला कृषि पदाधिकारी की ओर से इचाक थाने में 11 किसानों पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है .वहीं दूसरे मामले की जांच अभी जारी है.
अपर समाहर्ता ने यह भी जानकारी दी कि राज्य सरकार ने भी टीम गठित की है. हजारीबाग डीसी ने जिला स्तरीय टीम गठित की है. चौपारण, इचाक, चूरचू प्रखंड में टपक सिंचाई योजना की जांच की जा रही है. अपर समाहर्ता राकेश रोशन ने कृषि पदाधिकारी के पास जाकर जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की थी. लेकिन जानकारी नहीं दी गई है. पत्राचार के जरिए जानकारी मांगी जाएगी. इचाक के ही भुसाई गांव में जांच कर एफआईआर दर्ज किया गया है. इससे स्पष्ट होता है कि त्रुटि हुई है. लेकिन त्रुटि कहां हुई है, जांच रिपोर्ट आने पर विशेष टिप्पणी की जा सकती है.
जानिए क्या है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
झारखंड में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ योजना के तहत किसानों को 90 फीसदी सब्सिडी में टपक सिंचाई योजना का लाभ दिया जाता है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत देशभर के किसानों को इसका लाभ मिलता है. झारखंड में इस योजना की शुरुआत 2011 में हुई. योजना का मुख्य उद्देश्य पानी बचाते हुए बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करना है. योजना का क्रियान्वयन कृषि निदेशालय की देखरेख में होता है. इसके अंतर्गत सक्षम संस्थाओं की ओर से जिलास्तर पर किसानों से आवेदन लिया जाता है. किसानों के आवेदन पत्र का पर्यवेक्षण करने के बाद जिला स्तर पर राज्यादेश जारी किया जाता है.
उसके आधार पर टपक सिंचाई की आपूर्ति करने वाली एजेंसियां संबंधित किसानों के खेत में जाकर विभागीय निर्देश के अनुसार टपक सिंचाई प्रणाली के लिए सभी पाइप और मशीन को इंस्टॉल करती है. इसके बाद किसान के खेत का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाता है. सब कुछ सही पाए जाने के बाद एजेंसी को सब्सिडी की राशि दे दी जाती है.